कानपुर: जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद विरोधी अभियान में देश के 5 सैनिक शहीद हो गए. इन शहीदों में कानपुर का भी एक लाल शामिल था. यहां परिजनों और गांव वालों को आस थी कि शहीद लाल करन को सभी भावभीनी श्रद्धांजलि दे सकेंगे. वहीं जानकारी मिली की शहीद करन का पार्थिव शरीर गांव नहीं पहुंचेगा. इस बात से नाराज परिजनों और ग्रामीणों ने हाथ में तिरंगा झंडा लेकर NH-91 कानपुर-दिल्ली सड़क मार्ग पर जाम लगा दिया. इस दौरान वहां मौजूद लोगों ने सरकार और पुलिस की कार्यशैली पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं. इस मामले में एडीसीपी आकाश पटेल ने बताया कि लोगोंं को भ्रामक सूचना प्राप्त हुई है. शहीद का पार्थिव शरीर गांव आएगा.
जम्मू-कश्मीर में आतंकवादियों के हमले में कानपुर के चौबेपुर के भाऊपुर गांव निवासी करण सिंह यादव शहीद हुए थे. करण के शहीद होने की सूचना पर परिजनों में कोहराम मच गया. देखते ही देखते पूरे गांव में मातम छा गया. जानकारी होने पर ग्रामीण शहीद करन के घर पहुंच गए. गांव वालों ने शहीद के परिजनों को ढांढस बंधाया. इस मामले में सेना के अधिकारियों द्वारा शहीद के परिजनों को बताया गया कि जवान का शव क्षत-विक्षत हो गया है. उन जवानों में करन भी शामिल है. प्रशासन द्वारा शहीद के परिजनों को जम्मू-कश्मीर के लिए तैयार किया गया. इस मामले में ग्रामीणों का कहना है कि शहीद जवान का अंतिम संस्कार जम्मू-कश्मीर में ही होगा. वहीं प्रशासन द्वारा शहीद जवान करन की मां, पिता और भाई को फ्लाइट से जम्मू-कश्मीर के लिए रवाना हो गए. ग्रामीणों के अनुसार शहीद का वहीं राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया जाएगा.
बता दें कि करण यादव 2013 में सेना में हुए थे, गांव वालों का कहना है कि करण जिस गाड़ी को चला रहा था, उस गाड़ी पर आतंकियों ने अचानक हमला बोल दिया था. इस गोलीबारी में देश के 5 जवान शहीद हो गए थे. करण के शहीद होने के बाद से ग्रामीणों में काफी गुस्सा है. गांव वालों ने बताया कि किसान बालक सिंह यादव की तीन बेटियां और 2 बेटे थे. इन बच्चों करण दूसरे नंबर का था. परिजनों ने बताया कि वह सेना में भर्ती होकर देश की सेवा करना चाहता था, लेकिन जब से उसके शहीद होने की सूचना मिली है. पूरे गांव में मातम छा गया है. इस दौरान जब शव गांव न आने की सूचना मिली तो लोगों ने तिरंगा लेकर हाइवे पर जाम लगा दिया.