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कानपुर में प्लेटलेट्स के नाम पर हो रहा खेल, खतरे में मरीजों की जान

उत्तर प्रदेश के कानपुर जिले में डेंगू के बढ़ते प्रकोप का फायदा झोलाछाप डॉक्टर खूब उठा रहे हैं. यहां कई डॉक्टर बिना जरूरत के भी मरीजों को प्लेटलेट्स चढ़ा दे रहे हैं, जिससे उनकी हालत गंभीर हो जाती है. वहीं प्लेटलेट्स को लेकर मरीजों को किस तरह की सावधानी बरतनी चाहिए, इसके बारे में जानने के लिए पढ़ें पूरी खबर...

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Published : Nov 4, 2020, 8:12 AM IST

डेंगू के मरीज
डेंगू के मरीज

कानपुर: शहर में जहां कोरोना का कहर धीरे-धीरे कम हो रहा है, वहीं अब डेंगू अपना पैर पसार रहा है. डेंगू के मरीज लगातार बढ़ रहे हैं. निजी नर्सिंग होम संचालक और झोलाछाप डॉक्टर इस आपदा को अवसर बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं. नर्सिंग होम के संचालक ज्यादा लाभ के लिए मरीजों को दवाब बनाते हुए प्लेटलेट्स चढ़ा रहे हैं. 80,000 प्लेटलेट्स होने के बाद भी मरीजों को 10 यूनिट तक प्लेटलेट्स चढ़ा दे रहे हैं, जो उनके जीवन के लिए खतरा बन रही है.

इस संबंध में नोडल ब्लड ट्रांसफ्यूजन विभाग की प्रभारी डॉ. लुबना खान का कहना है कि बिना वजह प्लेटलेट्स चढ़ाना मरीज की जान के लिए खतरा भी हो सकता है. क्योंकि प्लेटलेट्स और ब्लड यह भी एक तरह का ड्रग है और इससे एलर्जिक रिएक्शन हो सकते हैं. कई बार यह रिएक्शन इतना ज्यादा हो जाता है कि मरीज की मौत तक हो सकती है.

इस तरह हो रहा है खेल

  • मामला एक-

चकेरी के एक डॉक्टर ने 80,000 प्लेटलेट्स होने पर भी मरीज को 10 यूनिट प्लेटलेट्स चढ़ावा दी. इससे उसकी हालत गंभीर हो गई. इससे मरीज के फेफड़ों और लिवर में पानी भर गया और प्लेटलेट और तेजी से नीचे जाने लगी. इसके बाद मरीज की हालत गंभीर हो गई और उसे हैलट हॉस्पिटल के मेडिसिन विभाग के आईसीयू में भर्ती किया गया, जहां इलाज कर उसकी जान बचाई गई.

  • मामला दो-

कल्याणपुर के एक नर्सिंग होम में भर्ती मरीज को डॉक्टर ने आधी रात में प्लेटलेट्स की कमी बताई. इसके बाद तीमारदारों ने एक दलाल के माध्यम से 2000 रुपए में एक यूनिट प्लेटलेट्स ली.

20 हज़ार से कम होने पर ही चढ़ाएं प्लेटलेट्स

नोडल ब्लड ट्रांसफ्यूजन विभाग की प्रभारी डॉ. लुबना खान ने बताया कि कई बार डॉक्टर्स 50,000 से नीचे प्लेटलेट्स होने पर ही प्लेटलेट्स चढ़ाने के लिए कहने लगते हैं, लेकिन जब तक मरीज में प्लेटलेट्स 20,000 से नीचे न हो तब तक मरीज को सिर्फ ऑब्जर्व किया जाए. यदि उससे पहले इंटरनल ब्लीडिंग हो तो प्लेटलेट्स चढ़ाएं. इसी के साथ यदि इससे कम न हो तो फिर प्लेटलेट्स न चढ़ाएं. डेंगू के सातवें या आठवें दिन ही प्लेटलेट्स कम होनी शुरू हो जाती है.

डॉ. लुबना खान ने बताया कि इधर डेंगू के आने के साथ ही इतना पैनिक क्रिएट कर दिया गया है कि लोग मेडिकल कॉलेज के साथ ही ब्लैक मार्केट से प्लेटलेट्स ले रहे हैं. इस वजह से कई तरह की बीमारियां हो सकती हैं, क्योंकि जहां मेडिकल कॉलेज में ब्लड और प्लेटलेट्स 5 लेवल जिसमें मलेरिया, हेपेटाइटिस बी, हेपेटाइटिस सी, एचआइवी और सिप्लिक्स की जांच की जाती है. वहीं ब्लैक मार्केट में बिना जांच के ही प्लेटलेट्स मिल रहे हैं, जिससे कई बीमारियां हो सकती हैं.

बेवजह प्लेटलेट्स चढ़ाने से हो सकती है यह परेशानियां

  • एलर्जिक रिएक्शन का खतरा
  • हेपेटाइटिस बी और हेपेटाइटिस सी जैसे रोग मिल सकते
  • बॉडी रिएक्शन से हो सकते हैं दूसरे रोग

मेडिकल कॉलेज में आसानी से मिल सकती है प्लेटलेट्स

डॉ. लुबना खान ने बताया कि किसी को यदि प्लेटलेट्स की जरूरत हो तो बिना किसी परेशानी के सीधे मेडिकल कॉलेज आकर प्लेटलेट्स ले सकता है. यहां पर यदि मरीज भर्ती है तो निशुल्क और बाहर का मरीज है तो 300 रुपये प्रति यूनिट में प्लेटलेट्स मिलती है. मरीज के तीमारदारों को सिर्फ ब्लड की रिपोर्ट, प्लेटलेट्स काउंट और डॉक्टर से लिखित में लाना होगा, जिसके बाद प्लेटलेट्स मिल सकती है.

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