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विधानसभा उपचुनाव: घाटमपुर सीट पर चढ़ा सियासी पारा, जानिए क्या है जनता का मूड

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Published : Oct 20, 2020, 7:07 AM IST

यूपी के कानपुर जिले की घाटमपुर विधानसभा उपचुनाव को लेकर सभी पार्टियां जोर आजमाइश कर रही हैं. इन सभी के बीच सुनिए घाटमपुर की जनता का क्या कहना है.

घाटमपुर उपचुनाव में चढ़ा सियासी पारा
घाटमपुर उपचुनाव में चढ़ा सियासी पारा

कानपुर:जिले की घाटमपुर सीट पर हो रहे उपचुनाव में सभी राजनीतिक पार्टियों के प्रत्याशियों ने नामांकन करने के बाद अपने पक्ष में माहौल बनाने की कवायद तेज कर दी है. इस सीट से बीजेपी ने उपेंद्र पासवान को चुनावी मैदान में उतारा है तो वहीं कांग्रेस ने डॉक्टर की नौकरी छोड़ कर राजनीति में आये कृपा शंकर शंखवार को अपना प्रत्याशी बनाया है, जबकि सपा से इंद्रजीत कोरी और बहुजन समाज पार्टी की ओर से कुलदीप शंखवार चुनावी मैदान में ताल ठोक रहे हैं.

घाटमपुर सीट पर चढ़ा सियासी पारा
घाटमपुर में कितने हैं भाग्यविधाता

बात की जाए कानपुर की घाटमपुर विधानसभा की तो यहां पर कुल मतदाताओं की संख्या 304897 है, जिसमें पुरुष मतदाताओं की संख्या 170476 है, जबकि महिला मतदाताओं की संख्या 134421 है.

ईटीवी भारत पर जानिए क्या है इस बार घाटमपुर विधानसभा उपचुनाव को लेकर जनता का मिजाज, क्या है जनता के मुद्दे और किन मुद्दों को लेकर प्रत्याशी जनता के बीच अपनी दावेदारी पेश कर रहे हैं.

विकास के लिए आज भी तरस रहा घाटमपुर

घाटमपुर विधानसभा क्षेत्र से विकास आज भी कोसों दूरे है. इलाके में सड़कों और स्कूलों की समस्या बहुत बड़ी है. साथ ही यहां के किसान की स्थिति बहुत अच्छी नहीं है. इस सीट से सपा, बसपा और भाजपा तीनों पार्टियों के विधायक रह चुके हैं. बावजूद इसके घाटमपुर विधानसभा क्षेत्र आज भी विकास के लिए तरस रही है.

अब तक किस किस पार्टी का रहा दबदबा

साल 2002 में समाजवादी पार्टी के राकेश सचान यहां से विधायक रहे. उसके बाद 2007 में यह सीट बहुजन समाज पार्टी के पाले में आई और राम प्रकाश कुशवाहा यहां से विधायक बनकर विधानसभा पहुंचे. वहीं 2012 में एक बार फिर हवा का रुख बदला और सपा के इंद्रजीत कोरी इस सीट से विजयी हुए. जबकि, 2017 में हुए पिछले विधानसभा चुनाव में भाजपा ने इस सीट पर कमल खिलाया और कमल रानी वरुण इस सीट से विधायक चुनीं गईं.

इतनी पार्टियों के विधायकों के प्रतिनिधित्व होने के बावजूद यह विधानसभा अभी तक विकास से दूर है, जिसकी वजह से घाटमपुर की जनता आज भी अपने आप को उपेक्षित महसूस करती है.

क्या है विकास के मुख्य मुद्दे

इस विधानसभा के जो मुख्य मुद्दे हैं, वह है जाम की समस्या, रोजगार, किसान, खेतों को नुकसान पहुंचा रहे मवेशी और प्रसिद्ध कुष्मांडा माता का मंदिर का सुंदरीकरण.

भाजपा की साख दांव पर

उत्तर प्रदेश की 7 सीटों पर हो रहे उपचुनाव में 6 सीटों पर भाजपा का ही कमल खिला हुआ था. अब जब चुनाव हो रहा है तो इन सातों में जीत दर्ज कर बीजेपी को अपनी साख बचाना चुनौती हो गई है, जिसके चलते बीजेपी ने उपचुनाव में अपने प्रत्याशियों के लिए स्टार प्रचारकों को मैदान में उतार कर पूरी मजबूती से किलेबंदी कर रही है. स्टार प्रचारकों में मुख्यमंत्री से लेकर उपमुख्यमंत्री और कैबिनेट मंत्री तक शामिल हैं, जो प्रत्याशियों के लिए रैलियां कर उनके लिए वोट मांगेंगे.

मंत्री कमल रानी वरुण के निधन के बाद खाली हुई सीट

घाटमपुर विधानसभा सीट मंत्री कमल रानी वरुण के निधन के बाद सीट खाली हुई है. ऐसे में कहीं ना कहीं भाजपा प्रत्याशी सहानुभूति के भी फैक्टर को लेकर चल रहे हैं. सभी पार्टियों ने अपने सामाजिक और जातीय गठजोड़ को लगाया है. कांग्रेस उत्तर प्रदेश में अपनी सियासी जमीन की तलाश को लेकर राज्य सरकार को घेरने पर कोई कोर कसर नहीं छोड़ रही है. कांग्रेस ने अपनी दावेदारी को मजबूत करने के लिए अपने दो पूर्व सांसदों राजाराम पाल और राकेश सचान को चुनावी मैनेजमेंट में लगा रखा है.

ये दोनों पूर्व सांसद घाटमपुर इलाके से ताल्लकु रखते हैं और दोनों नेता जमीनी स्तर पर लोगों से जुड़े हुए हैं. जिसकी वजह से कांग्रेस अपनी दावेदारी पक्की मान रही है. उधर, पिछले चुनाव के पहले घाटमपुर विधानसभा सीट समाजवादी पार्टी के कब्जे में थी. 2017 में भाजपा इस सीट पर जीती थी. उसके पहले दो बार यहां से सपा ने जीत दर्ज की है. जिसके चलते समाजवादी पार्टी एक बार फिर से इस विधानसभा पर अपने दावेदारी पेश कर रही है.

घाटमपुर सुरक्षित सीट है. उपचुनाव की बात की जाए तो भाजपा की पुरानी सीट होने के चलते भाजपा के लिए इसे जीतना जितना जरूरी है उसके साथ ही अपना वोट बैंक भी बचाना उसके लिए चुनौती है. वहीं बात की जाए कांग्रेस की तो कांग्रेस ग्रामीण अंचलों में अपनी पकड़ के लिए जानी जाती है. घाटमपुर विधानसभा में भी ग्रामीण भाग बहुत ज्यादा है, जिसके चलते कांग्रेस प्रत्याशी भी अपनी जीत सुनिश्चित मान के चल रहे हैं.

उनका कहना है कि उनके सामने कोई भी दावेदार नहीं दिखेगा. वहीं सपा और बसपा जातीय समीकरणों को लेकर अपनी दावेदारी रख रहे हैं. आपको बता दें कि घाटमपुर विधानसभा में जाति समीकरण भी अहम भूमिका निभाते हैं , जिसके चलते प्रत्याशी जातिगत समीकरणों को ध्यान में रखते हुए अपना प्रचार प्रसार करने में लगे हुए हैं.

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