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कानपुर में बन रहे खादी और ईको फ्रेंडली जूते, ऑस्ट्रेलिया और अमेरिका में पहने जा रहे - Khadi shoes made in Kanpur

कानपुर में चमड़े के उत्पादों से तैयरा जूतों से पर्यावरण प्रभावित होने की बात सामने आई है. अब चमड़ा कारोबारियों ने खादी व इको फ्रेंडली जूते तैयार कर दिया. इन जूतों की विदेश में जबरदस्त मांग है.

कानपुर में चमड़े
कानपुर में चमड़े

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Published : Jun 12, 2023, 8:43 PM IST

चमड़ा कारोबारी आरके जालान ने बताया.

कानपुर: अभी तक कानपुर में चमड़ा कारोबारी चमड़े के एक से बढ़कर उच्च गुणवत्ता वाले जूते बना रहे थे. लेकिन जब उनके कारोबार पर यह दाग लगा कि चमड़े के उत्पादों से पर्यावरण प्रभावित होता है तो कारोबारियों ने अब खादी व इको फ्रेंडली जूते तैयार कर दिए हैं. कानपुर शहर से तैयार इन जूतों की विदेशों में जबरदस्त मांग है.

कानपुर में चमड़े के जूतो के कारोबार का आंकड़ा.
काउंसिल फॉर लेदर एक्सपोर्ट (सीएलई) के वाइस चेयरमैन व चमड़ा कारोबारी आरके जालान ने बताया कि आस्ट्रेलिया में कुछ समय पहले मशरुम लेदर से बने जूते भेजे गए हैं. जबकि अमेरिका में काफी समय पहले खादी व इको फ्रेंडली जूते भेजे जा चुके हैं. अब आने वाले समय में यूरोपीय और गल्फ देशों में भी ईकोफ्रेंडली जूते ही लोगों को दिखाई देंगे. उन्होंने बताया कि सेंट्रल लेदर रिसर्च इंस्टीट्यूट चेन्नई (सीएलआरआई) में भी इको फ्रेंडली उत्पाद बनाए जा रहे हैं. वाइस चेयरमैन ने बताया कि विदेश में जो चमड़ा कारोबारी व उद्यमी हैं, वह प्रीमियम स्तर तक रुपये देने के लिए तैयार हैं. उन कारोबरियों की मांग सिर्फ ईकोफ्रेंडली जूता है.



जूतों में लगा जूट का सोल: कानपुर शहर के चमड़ा कारोबारियों ने बताया कि जो खादी व इको फ्रेंडली जूते बन रहे हैं. उनमें जूट का सोल और रबर का प्रयोग किया जा रहा है. साथ ही इन जूतों की सिलाई सूती धागों से की जा रही है. इन जूतों को लोग चार से पांच सालों तक आराम से पहन सकते हैं. खादी व इको फ्रेंडली जूतों की अमेरिका से करोड़ों रुपये के आर्डर मिले हैं.

खादी और ईकोफ्रेंडली जूतों की मांगःभारतीय जूते और चमड़े के निर्यात में साल 2022 की पहली छमाही में वृद्धि दर्ज की गई थी. कानपुर नगर के चमड़ा कारोबारियों को इस बार अधिक आर्डर मिल रहे हैं. कारोबारियों का कहना है कि चमड़ा तो वैसे भी कानपुर के लिए एक जिला एक उत्पाद योजना में चयनित उत्पाद है. इसलिए वह चमड़े के जूते तो बनाते ही रहेंगे. लेकिन जब जूतों का ट्रेंड बदला है. तो वह भी विदेशों की मांग के अनुसार खादी व इको फ्रेंडली जूते बनाकर बाजारों में प्रदर्शित करेंगे.

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