कानपुर:पुलिस की नौकरी में कभी-कभी ऐसी फरियाद आती हैं. जहां इंसानियत की जरुरत होती है, लेकिन कुछ ही अधिकारी उस इंसानियत पर खरा उतरते हैं. हाल ही में कानपुर पुलिस आयुक्त असीम अरुण ने जिस तरह से बुजुर्ग दंपति का सहारा बनकर इंसानियत की मिसाल पेश की. साथ ही दोषी बेटे को जेल भिजवाया वह काबिले तारीफ है. ऐसे कार्यों से पुलिस पर जहां लोगों का भरोसा दृढ़ होगा तो वहीं माता-पिता का तिरस्कार करने वाले बेटों को सबक भी मिलेगा. यह बातें पुलिस आयुक्त के आवास पहुंचे उत्तर प्रदेश सरकार के राज्य मंत्री मोहसिन रजा ने कही.
दरअसल, कानपुर के चकेरी थाना क्षेत्र के जेके कालोनी निवासी बुजुर्ग अनिल शर्मा पत्नी संग अपने इकलौते बेटे और बहू के साथ रहते हैं. बुजुर्ग दंपति की करीब 2 माह पहले उनके बेटे-बहू से कहासुनी हो गई थी. आरोप है कि तब बेटे-बहू ने बुजुर्ग दंपति से मारपीट की थी और बुजुर्ग दंपति ने थाने में शिकायत भी की थी, पर कोई सुनवाई नहीं हुई. इसके बाद करीब एक सप्ताह पहले फिर मारपीट की घटना हुई. इस पर बुजुर्ग दंपति ने चकेरी थाने में बेटे और बहू के खिलाफ मुकदमा भी दर्ज कराया. बुजुर्ग दंपति का आरोप है कि मुकदमा दर्ज होने के बाद भी बेटे-बहू की हरकतों में कोई बदलाव नहीं आया.
उत्पीड़न से परेशान बुजुर्ग दंपती ने थाने और डीसीपी ईस्ट से शिकायत की, लेकिन कुछ समाधान नहीं हुआ था. इसके बाद बुजुर्ग पति-पत्नी ने पुलिस कमिश्नर असीम अरुण के दफ्तर का रुख किया. 31 जुलाई को पुलिस कमिश्नर असीम अरुण ने दोनों को कैंप कार्यालय बुलाया. कमिश्नर बुजुर्ग दंपति को साथ लेकर उनके घर जा पहुंचे और अपने सामने उनके कमरों के ताले खुलवाए. बुजुर्ग दंपती से मारपीट करने के आरोप में उनके बेटे और बहू को पुलिस हिरासत में थाने भेज दिया और शांति भंग के आरोप में जेल भी भेज दिया. इस पूरे मामले का वीडियो सोशल मीडिया पर खूब वायरल हो गया और पुलिस आयुक्त के इस नेक कार्य को शासन तक सराहा जाने लगा.