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तनाव का दुश्मन, अकेलेपन का साथी है 'संगीत', कानपुर IIT ने किया शोध

तनाव के बगैर जिंदगी की कल्पना नहीं की जा सकती है. एक हद तक मनोवैज्ञानिक तनाव हमारे जीवन का एक ऐसा हिस्सा होता है, जो सामान्य व्यक्तित्व विकास के लिए आवश्यक साबित हो सकता है. लेकिन अगर तनाव बढ़ जाए, तो इसको दूर करने का बेहतर विकल्‍प हो सकता है संगीत सुनना.

म्यूजिक थैरेपी से तनाव पर होगा प्रहार.
म्यूजिक थैरेपी से तनाव पर होगा प्रहार.

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Published : Feb 19, 2021, 8:55 AM IST

कानपुर : आज के समय में जब हम इस भाग दौड़ भरी जिंदगी में कई दबावों से गुजरते हैं. इस कारण व्यक्ति का मन उदास और तनावग्रस्त हो जाता है. जो व्यक्ति को डीप्रेशन में ले कर जाता है, जिस कारण वह अपने आप को ही क्षति पहुंचाने लगता है. लेकिन अगर आप इस समस्या का हल संगीत से करें तो इससे काफी हद तक निजात मिल पायेगी. जी हां, ये हम नहीं कह रहे हैं, इस बात का शोध आईआईटी कानपुर के वैज्ञानिकों ने किया है.

देखें स्पेशल रिपोर्ट.

म्यूजिक थैरेपी से तनाव पर होगा प्रहार
आईआईटी कानपुर के विशेषज्ञों ने संगीत पर शोध करके डिप्रेशन को कम करने का साइन्टिफिक तरीका खोजा है. मानविकी ओर सामाजिक विज्ञान के साथ इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग के विशेषज्ञों ने मिलकर गीतों का दिमाग के साथ कनेक्शन जोड़कर शोध करको महत्वपूर्ण जानकारी हासिल की है.

कानपुर IIT ने किया शोध.

बड़े काम की है म्यूजिक थैरेपी
आईआईटी कानपुर के मानविकी ओर सामाजिक विज्ञान के विशेषज्ञ प्रोफेसर ब्रजभूषण ने इस शोध के बाबत ईटीवी भारत को बताया कि शास्त्रीय संगीत को सुनने के दौरान न सिर्फ एकाग्रता बढ़ने के साथ चित्त शांत होता है बल्कि तनाव भी काफी हद तक कम होता है. क्योंकि शास्त्रीय संगीत सुनते समय मस्तिष्क के न्यूरॉन्स सक्रीय हो जाते हैं और तंत्रिकाओं में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है.

कानपुर IIT ने किया शोध.

एकाग्रता भी बढ़ाता है संगीत
प्रोफेसर ब्रजभूषण ने शोध में पाया कि रागों के बादशाह रागदरबारी से एकाग्रता भी बढ़ती है. यही वजह थी कि पहले के राजा-महाराजा राग दरबारी सुनते थे. जिससे उनकी एकाग्रता बढ़ने के साथ-साथ तनाव भी कम होता था. इस राग दरबारी को अगर बच्चे भी सुनते हैं तो उनका पढ़ाई में मन भी लगेगा.

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