कानपुर:शहर में जिस तरह आईआईटी कानपुर की अपनी एक पहचान है और यहां के आईआईटियंस देश और दुनिया में अपनी मेधा का परचम लहरा रहे हैं. ठीक वैसे ही कानपुर का गणेश शंकर विद्यार्थी मेडिकल कॉलेज भी सूबे का ऐसा मेडिकल कॉलेज है, जो देश में सबसे पुराना है. 24 अप्रैल 1956 को तत्कालीन राष्ट्रपति राजेंद्र प्रसाद ने इसका शिलान्यास किया था. 13 दिसंबर 1959 को तत्कालीन सीएम डॉ.संपूर्णानंद ने इसका उद्घाटन किया था. 13 दिसंबर 2023 से मेडिकल कॉलेज को शिलान्यास के नजरिए से 67 साल पूरे हो हो गए.
देश और दुनिया में अपने हुनर से चमक बिखेर रहे जीएसवीएम के हीरे - GSVM completes 67 years
कानपुर के गणेश शंकर विद्यार्थी मेडिकल कॉलेज को 13 दिसंबर को 67 (Kanpur GSVMC will complete 67 years) साल पूरे हो जाएंगे. इन 67 सालों में इस मेडिकल कॉलेज ने कई उपलब्धियां हासिल की है. आइए जानते हैं पूरी कहानी...
By ETV Bharat Uttar Pradesh Team
Published : Dec 13, 2023, 6:21 PM IST
एक लंबे अरसे के दौर में इस मेडिकल कॉलेज में जबर्दस्त बदलाव हुए है. यहां के डॉक्टरों की झोली उपलब्धियों से भरी है. यहां के छात्रों को जहां गणेशियन कहा जाता है, वहीं पूर्व छात्रों ने अपनी संस्थान जेम्सकॉन के नाम से बनाई, जिसमें उनका निक नेम जेम्स रहता है. जिसका अर्थ है हीरा. प्रशासनिक अफसरों ने बताया, जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज में पहले प्राचार्य के रूप में डॉ. एसएन माथुर ने 15.02.1956 से 04.01.1957 तक कार्यभार संभाला था. जबकि मौजूदा समय में डॉ.संजय काला 24.06.2021 से लगातार प्राचार्य के पद पर कार्यरत हैं.
कभी गूंजती थी जंगली वन्यजीवों की आवाजें, अब है मेडिकल कॉलेज: जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज के प्रशासनिक अफसरों ने बताया कि 1956 का जो दौर था, उसमें मेडिकल कॉलेज के अंदर शाम को इस तरह से सन्नाटा पसर जाता था कि यहां कोई नहीं दिखता था. केवल जंगली वन्यजीवों की आवाजें गूंजती थी, जिसके चलते मेडिकल छात्र अपने कमरों में दुबके रहते थे. वहीं, उस समय जिस भूमि पर मेडिकल कॉलेज बना था, वह पत्थर कॉलेज (सीएसए विवि) की भूमि थी. इस भूमि को बाद में मेडिकल कॉलेज के नाम से जाना पहचाना गया.
कई अस्पतालों का संचालन जीएसवीएम से शुरु: 13 दिसंबर को 68वें वर्ष में प्रवेश करने वाले जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज से शहर के कई अस्पतालों का संचालन होता है. इसमें शहर का सबसे बड़ा सरकारी अस्पताल हैलट अस्पताल मेडिकल कॉलेज के ठीक सामने बना है. हैलट के अलावा, अपर इंडिया शुगर एक्सचेंज जच्चा-बच्चा चिकित्सालय, बाल रोग अस्पताल, मुरारी लाल चेस्ट अस्पताल और जीएसवीएम सुपर स्पेशिलिटी पोस्ट ग्रेजुएट इंस्टीट्यूट भी मेडिकल कॉलेज का हिस्सा है. जेके कैंसर और लक्ष्मीपत सिंहानिया हृदय रोग संस्थान भी इसका हिस्सा हुआ करते थे, हालांकि बाद में इन्हें स्वायत्त कर दिया गया.
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इन सुविधाओं से लैस है जीएसवीएम:जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज में मौजूदा समय में एंडोक्राइन, गैस्ट्रोमेडिसिन, डायबिटीज, थायराइड, ह्यूमेटोलॉजी आदि में ओपीडी सेवाएं दी जा रही हैं. यहां पर शल्य चिकित्सा के लिए आठ मॉड्यूलर ओटी हैं. इसमें चार लैप्रोस्कोपिक सेट, सर्जिकल और एनेस्थिसीया वर्क स्टेशन, हस्त शल्य, लेजर और सीआर्म की सुविधा है. यहां पर स्टेल सेल थेरेपी और डायबिटिक लैब से भी इलाज किया जा रहा है.
जीएसवीएम के नगीनों में हैं ये पूर्व छात्र
डॉ.खालीद हमीद, लंदन इंटरनेशनल हॉस्पिटल के अध्यक्ष हैं. वह मुख्य कार्यकारी अधिकारी के रूप में पहचाने जाते हैं. उन्हें 1992 में पद्मश्री और 2009 में पद्मभूषण, नागरिक पुरस्कार से सम्मानित किया जा चुका है. डॉ. हर्षवर्धन जो देश के स्वास्थ्य मंत्री रह चुके हैं, और मौजूदा समय में विश्व स्वास्थ्य संगठन के कार्यकारी बोर्ड के अध्यक्ष हैं. डॉ.सतेंद्र सिंह, प्रसिद्ध दिव्यांगता अधिकार कार्यकर्ता और वैश्विक दिव्यांगता समुदाय में असाधारण नेताओं को दिए जाने वाले प्रतिष्ठित हेनरी विस्कार्डि अचीवमेंट पुरस्कार जीतने वाले पहले भारतीय रहे हैं. डॉ.आशुतोष तिवारी न्यूयार्क शहर के माऊंट सिनाई अस्पताल में आईकैन स्कूल ऑफ मेडिसिन में यूरोलॉजी के अध्यक्ष हैं. डॉ.राजकुमार अखिल भारतीय आर्युविज्ञान संस्थान ऋषिकेश के संस्थापक निदेशक और पूर्व निदेशक सैफई मेडिकल यूनिवर्सिटी रह चुके हैं.
इन उपलब्धियों को भी जानें:
- 2 अंतरराष्ट्रीय शोध प्रकाशित हो चुके हैं.
- 26 शोध प्रोजेक्ट पास हो चुके हैं.
- 20 वैज्ञानिक शोध पत्र का प्रकाशन हो चुका है.
- बाल रोग विभाग में तैयार अमृत डाइट को दक्षिण अफ्रीका का पेटेंट मिल चुका है.
- नेत्र रोग विभाग द्वारा तैयार निडिल को 20 साल के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पेटेंट मिला है.
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