कानपुर: भले ही सियासत की दुनिया में लोग धर्मों को कई आंखों से देखते हों, लेकिन शहर के मो. इकबाल इस तरह की सोच से बिल्कुल अलग हैं. बुराई पर अच्छाई के प्रतीक कहे जाने वाले दशहरा पर्व पर मो. इकबाल का परिवार पिछले 85 सालों से रावण का पुतला तैयार करते हैं. उनके द्वारा तैयार किए गए पुतले कानपुर की रेलबाजार रामलीला में भेजे जाते हैं.
मो. इकबाल ने बताया कि वह हर साल रावण का पुतला बनाते समय उसमें कई ऐसी आकर्षक कला का उपयोग करते हैं, जो दखने में रोचक और अलग हो. मो. इकबाल बताते हैं कि इस बार बुधवार को जब रावण का पुतला दिखेगा, तो उसके मुंह से आग निकल रही होगी. उन्होंने दावा किया कि रेलबाजार रामलीला में पूरे शहर का सबसे ऊंचा यानी 85 फीट का रावण सभी लोग देखेंगे. इकबाल ने बताया कि उनके परिवार के वह चौथी पीढ़ी के सदस्य हैं, जो रावण का पुतला तैयार कर रहे हैं. 85 सालों से इकबाल का परिवार रावण का पुतला बना रहा है. मो. इकबाल से पहले उनके बड़े बाबा नूर मोहम्मद व परिवार के अन्य सदस्य पुतला बनाते थे, यह सिलसिल पीढ़ी दर पीढ़ी चालू है.
समाजिक सौहार्द की मिशाल पेश कर रहा इकबाल का परिवार, तीन पीढ़िओं से बना रहे रावण का पुतला
कानपुर के मोहम्मद इकबाल का परिवार कई सालों से दशहरे पर रावण का पुतला बना रहा है. मोहम्मद इकबाल द्वाार बनाए गए रावण के पुतले को कई शहरों में विजयदशमी के लिए भेजा जाता है.
रावण का पुतला
उन्होंने बताया कि कोरोना महामारी के दौरान उन्हें अपने घर पर बैठना पड़ा, इस वजह से कई दिक्कतों का सामना करना पड़ा. एक पुतला तैयार करने में कई दिनों का समय लगता है. पुतला तैयार करते समय खतरा भी बना रहता है. हालांकि, वह यह भी कहते हैं कि जब पुतला जलता है और समाज में यह संदेश जाता है कि हर बुराई का अंत होता तो उन्हें भी बेहद खुशी होती है.
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