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साल भर बाद कितना शांत है बिकरु, एक साल में काफी बदल गई गांव की तस्वीर

कानपुर का बिकरु कांड किसे याद नहीं. आज ही के दिन जघन्य अपराधी विकास दुबे पर दबिश देने गई पुलिस टीम पर विकास दुबे और उसके गुर्गों ने अंधाधुंध फायरिंग की थी. जिसमें डिप्टी एसपी समेत आठ पुलिसकर्मियों की मौत हो गई थी. इस जघन्य हत्याकांड से पूरा देश हिल गया था. इस हत्याकांड के बाद पुलिस ने भी सख्त तेवर अपनाए और आठ दिनों में विकास दुबे और उसके छह गुर्गों को एनकाउंटर में मार गिराया, जबकि 35 अपराधियों को पुलिस गिरफ्तार कर चुकी है. उत्तर प्रदेश पुलिस इसे इतिहास का सबसे काला दिन मानती है. आज बिकरु कांड बीते एक साल हो गया है. साल भर बाद बिकरु गांव की तस्वीर कितनी बदली है आइए जानते हैं.

एक साल में काफी बदल गई गांव की तस्वीर
एक साल में काफी बदल गई गांव की तस्वीर

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Published : Jul 2, 2021, 4:57 PM IST

कानपुर: बीते साल इसी दिन हुए जघन्य हत्याकांड से पूरा देश हिल गया था, दबिश देने गई पुलिस टीम पर विकास दुबे और उसके गुर्गों ने अंधाधुंध फायरिंग कर डिप्टी एसपी समेत आठ पुलिसकर्मियों को मौत के घाट उतार दिया था. इस हत्याकांड के बाद पुलिस ने भी सख्त तेवर अपनाते हुए आठ दिनों के अंदर विकास दुबे समेत उसके छह गुर्गों को एनकाउंटर में मार गिराया था. अब पुलिस को हर हाल में विकास दुबे की तलाश थी. देखते ही देखते विकास दुबे देश का सबसे मोस्ट वांटेड क्रिमिनल बन गया था. पुलिस चप्पे-चप्पे पर उसकी तलाश करने लगी थी. आखिरकार पुलिस को सफलता मिली और मध्यप्रदेश से उसे धर दबोचा. मगर मध्यप्रदेश से कानपुर लाते वक्त रास्ते में पुलिस ने उसे मुठभेड़ में मार गिराया. फिलहाल, पुलिस अब तक 35 अपराधियों को गिरफ्तार कर चुकी है. जिनमें से तीन के ऊपर NSA की भी कार्रवाई की जा चुकी है.

एक साल में काफी बदल गई गांव की तस्वीर
अपराधी विकास दुबे के आतंक से गांव तो थर्राता ही था साथ ही आसपास के गांव तक उसका आतंक था. लोगों की जमीनों पर उसने कब्जा कर रखा था. इतना ही नहीं, पंचायतों के चुनाव से लेकर विधायकों और सांसदों के चुनाव में भी उसका वर्चस्व था. वर्चस्व किस स्तर तक था इसको जानने के लिए ईटीवी भारत की टीम बिकरु गांव पहुंची और बीते 25 सालों में विकास की पैठ क्षेत्र में कितनी थी आप भी जान लीजिए.

दरअसल, ग्राम प्रधान, जिला पंचायत के चुनाव से लेकर विधायकों और सांसदों के चुनाव विकास दुबे के मन मुताबिक ही होते थे. विकास दुबे प्रत्याशी के रुप में जिसका चयन कर देता था उसे सीधे प्रधान बना दिया जाता था. बीते 25 सालों का रिकॉर्ड रहा है कि उसके द्वारा चुना गया प्रत्याशी ही गांव का प्रधान होता था. वह जिसको कह देता था वही जिला पंचायत सदस्य बनता था. वह खुद भी सक्रियता से इन सब की निगरानी करता था. सभी ग्राम पंचायतों के प्रधान और जिला पंचायत सदस्य उसके यहां हाजिरी लगाने पहुंचते थे. आसपास के गांव और जिला पंचायत की सरकारी योजनाओं का बंदरबाट भी उसी के मन मुताबिक होता था. विकास दुबे के अनुसार ही सारे विकास कार्य होते थे. यह कहना अतिशयोक्ति नहीं होगी कि विकास दुबे अपनी एक अलग सरकार चला रहा था.

पढ़ें- बिकरू पंचायत चुनाव: विकास दुबे की कहानी का अंत, अब नए 'विकास' की उम्मीद

मगर बीते 25 सालों के बाद यानि अब जब विकास दुबे का खात्मा हो चुका है तो गांव की तस्वीर बदली है. गांव, क्षेत्र का माहौल बदल रहा है. लोगों का जीने का तरीका बदल रहा है. गांव के लोगों का कहना है कि जहां एक तरफ अभी तक बिकरू गांव विकास दुबे की वजह से बदनाम हुआ है, तो वहीं अब यहां के बच्चे पढ़ लिख कर इस गांव का नाम रोशन करेंगे. बीते पंचायत चुनाव में पहली बार ग्राम सभा में 10 प्रत्याशियों ने पर्चे दाखिल किए और मधु कमल प्रधान बन कर जीत हासिल की.

ईटीवी भारत ने बिकरू ग्राम पंचायत की प्रधान मधु कमल से बात की और जाना कि अब वह किन क्षेत्रों में काम करेंगी और गांव के विकास की ओर ले जाने के लिए क्या उनके पास फार्मूला है, इस सवाल पर उन्होंने बताया कि कई दबाव आते रहे लेकिन उन्होंने हार न मानी. वह मैदान में डटी रहीं जिसका नतीजा है कि वह इस गांव की प्रधान बनी. उन्होंने कहा उनके गांव को देश में पहचान मिले इसके लिए वह काम करेंगी. बच्चों की शिक्षा, स्वास्थ्य और महिलाओं को रोजगार दिलाना उनकी प्राथमिकता रहेगी.

उन्होंने बताया कि बीते 25 सालों से गांव के स्कूलों में मिड-डे मील का खाना तक नहीं बना है, लेकिन अब इसकी शुरुआत की जाएगी. उन्होंने कहा कि वह चाहती हैं कि जिस विकास दुबे की वजह से उनका गांव कुख्यात हो गया था, उसी गांव के बच्चों को अच्छी शिक्षा मिल सके, गांव के बच्चे इंजीनियर, डॉक्टर और अधिकारी बनकर गांव का नाम रोशन करें.


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