कानपुर:मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के प्रयास से कानपुर शहर से सटे रमईपुर गांव में देश का पहला मेगा लेदर क्लस्टर बनने जा रहा है. उम्मीद है कि दम तोड़ रही लेदर इंडस्ट्री को फिर से संजीवनी मिलेगी. अब एक बार फिर से कानपुर का चमड़ा उद्योग पूरे विश्व में अपनी खोई हुई पहचान दोबारा से हासिल करेगा. मेगा लेदर क्लस्टर प्रोजेक्ट के लिए रमईपुर में 235 एकड़ जमीन अधिग्रहित की जा चुकी है. 451 करोड़ अनुमानित लागत से मेगा लेदर क्लस्टर बनेगा.
कानपुर में बनेगा देश का पहला मेगा लेदर क्लस्टर. मेगा लेदर क्लस्टर बनने से रुकेगा उद्यमियों का पलायन बता दें कि लगातार 13 महीने से कानपुर का चमड़ा उद्योग बुरी तरीके से प्रभावित हुआ है. टेनरिया बंद होने से व्यापार पूरी तरह ठप है. बार-बार टेनरियों की बंदी और प्रदूषण की समस्याओं के चलते कई कारोबारी पश्चिम बंगाल का रुख कर चुके हैं. ऐसे में अभी भी कई उद्यमी दूसरे राज्यों में पलायन करने के लिए मजबूर थे, लेकिन यूपी सरकार के प्रयास से इस मेगा लेदर क्लस्टर का प्रोजेक्ट लगाया जा रहा है. लिहाजा अब चमड़ा कारोबारियों को उम्मीद जगी है. उम्मीद है कि अब उद्यमी पलायन नहीं करेंगे, बल्कि कानपुर में ही अपने टेनरी व्यापार को बढ़ा सकेंगे. इतना ही नहीं कई अन्य राज्यों के चमड़ा कारोबारियों ने भी कानपुर के बनने जा रहे मेगा क्लस्टर में जमीन खरीदने के लिए आवेदन किए हैं. कानपुर में बनेगा देश का पहला मेगा लेदर क्लस्टर. 38 हजार करोड़ का है कानपुर का चमड़ा व्यापार
कानपुर का चमड़ा उद्योग 38 हजार करोड़ रुपये का है. सालाना 30,000 करोड़ रुपये का डोमेस्टिक व्यापार कानपुर के चमड़ा उद्योग से होता है. वहीं बात की जाए निर्यात की तो कानपुर का चमड़ा उद्योग सालाना आठ हजार करोड़ रुपये का निर्यात से व्यापार करता है.लेदर निर्यात परिषद के रीजनल चेयरमैन जावेद इकबाल ने बताया कि इस मेगा लेदर क्लस्टर से एक बार फिर से कानपुर के चमड़ा उद्योग को संजीवनी मिलेगी. एक बार फिर कानपुर का चमड़ा बाजार पूरी दुनिया में अपना डंका बजाएगा. लेदर इंडस्ट्री की बरसों पुरानी समस्या इस क्लस्टर से दूर होगी. पर्यावरण भी साफ रहेगा और लेदर इंडस्ट्री को बढ़ने का मौका भी मिलेगा. इतना ही नहीं इस क्लस्टर के बनने से कानपुर से होने वाले निर्यात में भी दोगुना इजाफा होगा. कानपुर में बनेगा देश का पहला मेगा लेदर क्लस्टर. 2 लाख लोगों को मिलेगा रोजगार
कानपुर में मेगा लेदर क्लस्टर प्रोजेक्ट के तहत बनने वाले लेदर पार्क में 50 हजार लोगों को प्रत्यक्ष रूप से रोजगार मिलेगा, जबकि डेढ़ लाख लोगों को परोक्ष रूप से रोजगार मिलेगा. डेढ़ सौ से अधिक टेनरी इकाइयां इस पार्क में कार्य करेंगी. चमड़े से बने जूते, पर्स, जैकेट से लेकर अन्य विश्वस्तरीय उत्पाद इस पार्क में बनाकर उनका निर्यात किया जा सकेगा.
अंतरराष्ट्रीय ऑर्डर में होगा इजाफा
लगातार इंडस्ट्री बंद रहने की वजह से कानपुर निर्यात के ऑर्डर समय पर नहीं दे पा रहा था, जिसकी वजह से बायर कानपुर से माल खरीदने से कतरा रहे थे. इस कमजोरी का लॉकडाउन के समय में बांग्लादेश और पाकिस्तान ने भारत के ऑर्डर पर सेंधमारी की. वहीं अब जब एक बार फिर से लेदर इंडस्ट्री अपनी रौ पर लौटेगी तो निर्यात के आंकड़ों में कानपुर चमकेगा और समय से बायर्स को डिलीवरी भी कर पाएगा.