कानपुर:देश का संविधान 26 जनवरी को जब बना था, उस समय संविधान तैयार करने वालों के हस्ताक्षर होने थे. नियमत: पहला हस्ताक्षर राष्ट्रपति का होना था, लेकिन पं.जवाहर लाल नेहरु ने बिना गैप दिए ही अंग्रेजी में पहला हस्ताक्षर कर दिया. उनके बाद 13 अन्य विशिष्टजनों ने जो हस्ताक्षर किए वह भी अंग्रेजी में किए. अगर, उस समय हिंदी में सभी ने हस्ताक्षर किए होते तो शायद मौजूदा दौर में अंग्रेजी से अधिक हिंदी का चलन होता. ये भी कह सकते हैं कि अंग्रेजी भाषा से अधिक हिंदी की जड़ें गहरी होती हैं. मगर, मेरा दावा है संविधान बनने के दौर से ही हिंदी की जड़ में गड़बड़ी हुई और वह जड़ें बहुत गहरी हैं. पर जो कहते हैं, हिंदी जाएगी, उन्हें मैं बताना चाहूंगा कि आने वाले समय में देश-देशांतर में हिंदी का विकास होगा. छत्रपति शाहू जी महाराज विवि में हिंदी दिवस पर आयोजित कवि सम्मेलन में शामिल होने आए मुख्य अतिथि पद्मश्री और प्रख्यात कवि अशोक चक्रधर ने ये बातें कहीं.
संविधान पर 230 लोगों ने अंग्रेजी में हस्ताक्षर किए थेःअशोक चक्रधर ने कहा कि उस संविधान की मूल प्रति की प्रतिलिपि आज भी उनके पास है. जबकि कुल 100 से 125 प्रतिलिपियां तैयार हुई थीं. उन्होंने कहा कि जिन 14 विशिष्टजनों ने अंग्रेजी में हस्ताक्षर कर दिए थे, उनकी मंशा ही नहीं थी कि वह हिंदी में अपना नाम लिखें. इसी मामले पर उन्होंने महात्मा गांधी को लेकर कहा, कि वह अड़े थे कि हिंदी भाषा का अधिक से अधिक प्रचार-प्रसार हो. महात्मा गांधी कहते थे कि बिना राष्ट्रभाषा के देश गूंगा है. संविधान में कुल 273 हस्ताक्षर हुए थे, उनमें से 230 लोगों ने अंग्रेजी में हस्ताक्षर किए थे और 40 से अधिक लोगों ने हिंदी में, जिसमें पुरुषोत्तम दास टंडन का नाम अग्रणी रहा.