कानपुर : उनकी उम्र पर मत जाइए. न ही यह सोचिए कि वह तो सिर्फ 10 वीं के छात्र हैं. दरअसल हम जिनकी बात कर रहे हैं उनमें असाधारण प्रतिभा है. वैसे तो वे हाईस्कूल के छात्र हैं लेकिन कानपुर यूनिवर्सिटी में लॉ के छात्रों को पढ़ाते हैं. सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी करने वाले उनका मार्गदर्शन पाने के लिए लालायित रहते हैं. मेधावी इतने कि चाहे यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ हों, राज्यपाल आनंदीबेन पटेल हों या फिर शिक्षामंत्री धर्मेंद्र प्रधान, सब उनके कायल हैं. जी हां! हम बात कर रहे हैं कानपुर के नन्हे प्रोफेसर यशवर्धन सिंह की, जिनके नाम अभी से कई उपलब्धियां हैं. ईटीवी भारत ने यशवर्धन से खास बातचीत की.
खेलने की उम्र में किताबों से कर ली दोस्ती
यशवर्धन ने खिलौनों से खेलने वाली उम्र में मां की किताबों को पढ़ना शुरू कर दिया था. यशवर्धन की मां कंचन पाल सिविल सेवा की तैयारी कर रही थीं. मां तो परीक्षा में सफल न हो सकीं पर यशवर्धन की दोस्ती किताबों से कुछ ऐसी हुई कि कुछ ही दिन में उनकी हर तरफ चर्चा होने लगी. छोटी सी उम्र में यशवर्धन को काफी जानकारी हो गई. यशवर्धन ने सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी से जुड़ी किताबों के अध्ययन के साथ ही इतिहास, लॉ से जुड़े कोर्स को पढ़ा. फिर ऐसा समय भी आया जब उनकी ख्याति देश से निकलकर विदेश तक पहुंची.
जब शिक्षामंत्री ने कहा- आओ मेरी कुर्सी पर बैठ जाओ
यशवर्धन के जीवन में दिल्ली में कुछ दिनों पहले हुई अंतरराष्ट्रीय कांफ्रेंस एक उपलब्धि बनकर आई. इस अंतरराष्ट्रीय कांफ्रेंस में 30 देशों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया था. इन सबके सामने यशवर्धन ने भारत का नेतृत्व करते हुए अर्ली चाइल्डहुड केयर एंड एजूकेशन विषय पर बेबाकी से अपनी बात रखी. जब यशवर्धन कुछ दिनों पहले शिक्षामंत्री धर्मेंद्र प्रधान से मिले तो संवाद के दौरान ही उन्होंने यशवर्धन से कह दिया- आओ मेरी कुर्सी पर बैठ जाओ. शिक्षामंत्री के अलावा अन्य कई ऐसी हस्तियां हैं, यशवर्धन से मिलकर काफी प्रभावित हुईं.