कानपुरः आईआईटी कानपुर के प्रोद्योगिकी व्यवसाय इनक्यूबेटर, फाउंडेशन ऑफ रिसर्च एंड इनोवेशन इन साइंस एंड टेक्नोलॉजी (FIRST) द्वारा संचालित 'टेक फॉर ट्राइबल्स' उत्पादों के मूल्य संवर्धन और प्रसंस्करण में बीओपी उद्यमिता के लिए प्रासंगिक पाठ्यक्रम सामग्री के माध्यम से आदिवासी उद्यमियों को व्यावहारिक प्रशिक्षण प्रदान करता है. इसके साथ ही कार्यक्रम के तहत 6 हजार से अधिक लाभार्थियों का समर्थन करेगा. ये पुरस्कार ट्राइफेड के 34वें स्थापना दिवस पर प्रदान किया गया.
आईआईटी कानपुर ने ट्राइबल कोऑपरेटिव मार्केटिंग डेवलपमेंट फेडरेशन ऑफ इंडिया (ट्राइफेड) के वनधन वार्षिक पुरस्कारों के उद्घाटन पर अपने 'टेक फॉर ट्राइबल' कार्यक्रम के लिए प्रतिष्ठित सर्वश्रेष्ठ उद्यमी कौशल प्रशिक्षण परियोजना का पुरस्कार जीता है. 'टेक फॉर ट्राइबल्स' पहल का उद्देश्य वनधन विकास केंद्रों (वीडीवीके) के माध्यम से संचालित स्वयं सहायता समूहों (एसएचजी) के माध्यम से उद्यमिता विकास, सॉफ्ट स्किल्स, आईटी और व्यवसाय विकास पर ध्यान देने के साथ आदिवासियों का समग्र विकास करना है.
आईआईटी कानपुर के निदेशक प्रोफेसर अभय करंदीकर ने कहा कि, "हमें इस देश के आदिवासियों को आत्मनिर्भर बनाने के लिए एक अनूठा कार्यक्रम 'टेक फॉर ट्राइबल्स' से जुड़कर गर्व हो रहा है. ये आदिवासी उद्यमियों और शहरी बाजारों के बीच की खाई को पाटने पर केंद्रित है. इस अनूठी पहल में आईआईटी कानपुर के योगदान द्वारा लाया गया तकनीकी परिवर्तन जनजातीय पारिस्थितिकी तंत्र को प्रभावित करने वाले परिवर्तन के एक प्रकाशस्तंभ के रूप में उभरा है. मुझे विश्वास है कि इस तरह के हस्तक्षेप से आदिवासी आत्मनिर्भर बनने के लिए सभी चुनौतियों से ऊपर उठेंगे.
फाउंडेशन ऑफ रिसर्च एंड इनोवेशन इन साइंस एंड टेक्नोलॉजी (FIRST), आईआईटी कानपुर के सीईओ, डॉक्टर निखिल अग्रवाल ने इस मौके पर कहा कि, "टेक फॉर ट्राइबल्स' के माध्यम से, हमने फाउंडेशन ऑफ रिसर्च एंड इनोवेशन इन साइंस एंड टेक्नोलॉजी (FIRST) में आदिवासी उद्यमियों को अपने व्यवसायों के प्रभाव को बढ़ाने के लिए प्रशिक्षित किया है, इसने आदिवासी उद्यमियों को व्यावसायीकरण के रास्ते पर लाने में मदद की है. ये उपलब्धि टीम को प्रेरित करेगी और कार्यक्रम के लाभार्थियों को और अधिक लाभ प्राप्त कराने के लिए उनके प्रयासों में ऊर्जा का संचार करेगी."
प्रोफेसर अमिताभ बंद्योपाध्याय, प्रोफेसर-इंचार्ज, इनोवेशन एंड इनक्यूबेशन, आईआईटी कानपुर ने पीएमयू टीम को उनके प्रयासों के लिए सराहना की, उन्होंने कहा कि,“इस उपलब्धि ने हमारी टीम को आदिवासी समुदायों के उत्थान के लिए उत्साह से काम करने के लिए प्रेरित किया है. हमारा मानना है कि "टेक फॉर ट्राइबल्स' में लाभार्थियों के प्रभाव और परिणामों को और मजबूत करने की जबरदस्त क्षमता है, जो देश के सामाजिक प्रभाव को बढ़ाने में मददगार होगी. हम भारत में आदिवासी समुदायों में अद्वितीय समर्पण के साथ काम करना जारी रखेंगे”
"टेक फॉर ट्राइबल्स' कार्यक्रम के तहत, आईआईटी कानपुर मूल्य संवर्धन और वन उत्पादों के प्रसंस्करण में आदिवासी और ग्रामीण उद्यमिता के लिए प्रासंगिक पाठ्यक्रम सामग्री विकसित कर रहा है. परियोजना प्रबंधन इकाई (पीएमयू) टीम ने कौशल निर्माण प्रयासों के माध्यम से स्वयं सहायता समूहों (एसएचजी) की स्थिरता में योगदान देने वाले प्रमुख हस्तक्षेपों को लागू किया है. टेक फॉर ट्राइबल्स एक गेम चेंजिंग, एक अनूठी परियोजना है. जिसका उद्देश्य वनधन योजना के तहत नामांकित आदिवासी वन उपज संग्रहकर्ताओं को उद्यमिता कौशल प्रदान करके 5 करोड़ जनजातीय उद्यमियों में बदलना है. प्रशिक्षुओं को छह सप्ताह में 30-दिवसीय कार्यक्रम से गुजरना होगा, जिसमें 120 सत्र शामिल होंगे, जिसका उद्देश्य आदिवासी उद्यमियों और शहरी बाजारों के बीच की खाई को पाटना होगा.