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कोरोना की दूसरी लहर पर IIT कानपुर की रिसर्च से बढ़ी चिंता

कोरोना को लेकर सरकार हर स्तर पर मुस्तैद नजर आ रही है और कोरोना की रोकथाम के लिए आम जन से कोविड प्रोटोकाल को पालन की लगातार अपील कर रही है. इसी बीच आईआईटी कानपुर के विशेषज्ञों की कोविड को लेकर की गई रिसर्च चिंता को बढ़ाने वाली है. आईआईटी के प्रोफेसर ने बाकायदा ग्राफ के साथ चेतावनी जारी करते हुए कहा है कि पिछले साल की तुलना में इस बार की कोविड लहर में कोरोना संक्रमितों की संख्या तेजी से बढ़ेगी.

IIT कानपुर की रिसर्च से बढ़ी चिंता
IIT कानपुर की रिसर्च से बढ़ी चिंता

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Published : Apr 2, 2021, 6:51 AM IST

कानपुर:कोरोना की दूसरी लहर को लेकर उत्तर प्रदेश से लेकर कमोबेश पूरे देश में हालात फिर से बिगड़ रहे हैं. प्रतिदिन कोरोना के मरीजों की बढ़ती तादात ने सरकारों से लेकर आम जन के माथे पर चिंता की लकीर खींच दी हैं. कोविड पॉजिटिव मरीजों की संख्या में लगातार इजाफा हो रहा है. इस दौरान आईआईटी कानपुर के विशेषज्ञों की कोविड को लेकर की गई रिसर्च चिंता को बढ़ाने वाली है. इतना ही नहीं आईआईटी के प्रोफेसर ने बाकायदा ग्राफ के साथ चेतावनी जारी करते हुए कहा है कि पिछले साल की तुलना में इस बार की कोविड लहर में कोरोना संक्रमितों की संख्या तेजी से बढ़ेगी.

IIT कानपुर की रिसर्च से बढ़ी चिंता
अप्रैल के मध्य में कोरोना होगा पीक परसाथ ही अप्रैल के मध्य तक वायरस का संक्रमण भी बड़ी ही रफ्तार के साथ बढ़ेगा. आईआईटी कानपुर के प्रोफेसर सीआई 3 लैब के इंचार्ज मणीन्द्र अग्रवाल ने मैथमेटिक्स मॉडल के आधार पर कोरोना को लेकर चेतावनी जारी की है. प्रोफेसर मणीन्द्र अग्रवाल ने कहा कि अप्रैल के मध्य हफ्ते में यूपी में कोरोना संक्रमितों का प्रतिदिन का आंकड़ा 6000 के पार तक हो सकता है. हालांकि अप्रैल महीने के आखिरी में थोड़ी गिरावट आनी भी होना शुरू हो जाएगी. वहीं समूचे भारत में अप्रैल मध्य में कोरोना पीक पर होगा.सावधानी है बहुत जरूरीप्रोफेसर ने चेतावनी जारी करने के साथ ही लोगों से कोरोना प्रोटोकॉल भी हर हाल में पालन करने की भी हिदायत दी है. लोग अगर ढंग से कोविड प्रोटोकॉल का पालन करेंगे तो अप्रैल के बाद कोरोना संक्रमण की दर घटने लगेगी. जिससे सरकार को लॉक डाउन लगाने की जरूरत नही पड़ेगी.बढ़ रही है कोरोना की रिप्रोडक्शन दरदरअसल जनवरी से लेकर फरवरी तक कोरोना वायरस की रिप्रोडक्शन वैल्यू का ग्राफ जीरो से नीचे तक था. लेकिन अब रिप्रोडक्शन दर 1.25 से 1.30 तक के स्तर पर जा पहुंची है.

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