कानपुर: देशभर में कानपुर की पहचान एक औद्योगिक नगरी के रूप में है. यहां जिस तरह लोहा, फर्नीचर समेत अन्य कारोबार होते हैं, ठीक वैसे ही रंगों का भी लाखों-करोड़ों रुपये का कारोबार होता है. होली का पर्व नजदीक है और अब इस सत्र में शहर में करीब 400 टन गुलाल बिकने की उम्मीद जताई जा रही है. वहीं, पिछले करीब 72 सालों से रंगों का कारोबार कर रहे कारोबारी शरद जानी ने बताया कि शहर में एक दौर था, जब एल्गिन, विक्टोरिया और लाल इमली जैसी मिलें चला करती थीं. उन दिनों यहां रंगों की मांग भी बहुत अधिक थी.
हालांकि, किन्हीं कारणों से मिलें बंद हो गई तो रंगों का कारोबार भी थोड़ा सुस्त पड़ गया. लेकिन जब होली में गुलाल की मांग बढ़ी तो कारोबारियों ने तरह-तरह के गुलाल तैयार करने शुरू कर दिए हैं. मौजूदा समय में गुलाल की मांग प्रदेश के सभी शहरों में है. साथ ही कानपुर का तैयार गुलाल मध्य प्रदेश, असम, बिहार, ओडिशा, पश्चिम बंगाल समेत कई अन्य राज्यों तक पहुंचता है.
65 रुपये किलो बिक रहा गुलाल
कारोबारी शरद जानी ने बताया कि शहर में अच्छा गुलाल 65 रुपये किलो तक बिक रहा है. इसके अलावा कई अन्य वैरायटी भी हैं, जो कम कीमत में भी उपलब्ध हैं. वहीं, यहां रंगों का कारोबार करने वाले बड़े व्यापारियों की संख्या 40 के आसपास है. इनमें से औसतन हर कारोबारी पांच से 10 टन तक गुलाल व अन्य रंगों की बिक्री कर लेता है.