कानपुर: एसटीएफ एनकाउंटर में मारा गया कानपुर मुठभेड़ का मुख्य आरोपी विकास दुबे अपने गांव बिकरू के बगीचे में सारी प्लानिंग तैयार करता था. यहीं से विकास अपने हर अपराध की पटकथा लिखता था और फिर घटना को अंजाम देता था. इतना ही नहीं आतंकवादी संगठनों की तर्ज पर वह अपने गैंग को संचालित भी करता था.
हिस्ट्रीशीटर विकास दुबे बगीचे में लिखता था अपराध की कहानी. नाम गुप्त रखने की शर्त पर एक ग्रामीण ने बताया कि विकास अपराध की दुनिया का बेताज बादशाह बनना चाहता था. उसकी हर गतिविधि किसी आतंकवादी संगठन से कम नहीं थी. बताया जाता है कि बिकरू गांव के बगीचे में वह अंजाम देने वाले हर अपराध की पटकथा लिखता था. यहीं से प्लानिंग तैयार की जाती थी और गुर्गों को जिम्मेदारी दी जाती थी, जिसके बाद अपराध को अंजाम दिया जाता था. विकास दुबे ने इसी बगीचे में बैठकर हत्या, फिरौती, धमकी और अवैध व्यापार सहित न जाने कितने अपराधों की प्लानिंग कर उसे अंजाम तक पहुंचाया है.
बगीचे से लिखता था अपराध की इबारत
बताया जाता है कि जब विकास दुबे अपने गुर्गों के साथ बगीचे में रहता था, तो किसी भी ग्रामीण की हिम्मत नहीं होती थी कि वह बगीचे के आस-पास जा सके. ग्रामीण उसे पंडित जी कहकर बुलाते थे. हर अपराध के पहले बगीचे में वह अपने गुर्गों के साथ लंबी योजना बनाता था. यह भी बताया जाता है कि घटना के अंजाम वाले दिन भी वह बगीचे में ही बैठकर सारी कंट्रोलिंग करता था और गैंग के सदस्यों को निर्देश देता था.
घर की पीछे अपने पैसे से बनवाया है पुल
विकास दुबे के घर के पीछे एक छोटी सी नदी पड़ती है. वह इतना ज्यादा शातिर था कि फरार होने के लिए उसने अपने पैसे से नदी पर एक पुल बनवाया था. वहीं यह भी बताया जाता है कि घटना को अंजाम देने से पहले और बाद में वह बगीचे में ही आता था, जिससे कि पकड़े जाने की संभावना पर वह आसानी से फरार हो सके. इतना ही नहीं वह बगीचे में ही गैंग के नए सदस्यों को ट्रेनिंग भी देता था. विकास दुबे की दहशत का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि एनकाउंटर की घटना के बाद गांव का कोई भी शख्स कुछ बोलने को तैयार नहीं है.