कानपुर: कानपुर मुठभेड़ के मुख्य आरोपी विकास दुबे को जब यूपी एसटीएफ उज्जैन से लेकर कानपुर आ रही थी, तो पूरे रास्ते में उसे अपने एनकाउंटर का डर सता रहा था. जब पुलिसकर्मी उससे मुठभेड़ के बारे में पूछते, तो वह झल्ला जाता था और उनसे पूछता था कि कहीं रास्ते में मुझे मार तो नहीं दोगे. उसे इसलिए डर लग रहा था कि पुलिस उसके पांच साथियों का एनकाउंटर पहले ही कर चुकी थी.
9 जुलाई को उसे उज्जैन महाकाल मंदिर में दर्शन के दौरान एमपी पुलिस ने गिरफ्तार किया था. इसके बाद उसी दिन देर रात को यूपी एसटीएफ उज्जैन से लेकर उसे कानपुर के लिए रवाना हुई. 10 जुलाई की सुबह कानपुर पहुंचने के पहले कुछ ही दूरी पर एसटीएफ की गाड़ी पटल गई. इस दौरान मौके का फायदा उठाकर वह पुलिसकर्मी की पिस्टल छीनकर भागने लगा और जब पुलिसकर्मियों ने उसका पीछा किया, तो उसने फायरिंग कर दी. एसटीएफ की ओर के जवाबी कार्रवाई में गोली लगने से वह घायल हो गया. उसे सरकारी अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां डाॅक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया.