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हिंदी दिवस: पद्मश्री अशोक चक्रधर बोले- भले ही अंग्रेजी में सर्व करो, मगर हिंदी पर गर्व करो - कवि अशोक चक्रधर

कवि अशोक चक्रधर (Poet Ashok Chakradhar) आज हिंदी दिवस (Hindi Diwas) पर छत्रपति साहू जी महाराज विश्वविद्यालय में आयोजित कार्यक्रम में शामिल हुए थे. इस अवसर पर उनसे हिंदी दिवस को लेकर एक्सक्लूसिव बातचीत की गई.

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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Jan 10, 2024, 9:57 PM IST

कवि अशोक चक्रधर से खास बातचीत

कानपुर: हिंदी एक ऐसी भाषा है, जो बोली जाती है और लिखी जाती है. हिंदी की वर्णमाला वैज्ञानिक है. इसमें अल्पकोश है, महाकोश है. मैं एक आशावादी व्यक्ति हूं, एआई जैसी कृत्रिम मेधा पर भरोसा भी करता हूं. मगर इनके पीछे जिस जनबल का भरोसा होता है, अगर वही जनबल हमारी अंतरचेतना से बाहर निकलकर आ जाएगा तो हम हिंदी की महत्ता को समझ जाएंगे. मैं हमेशा कहता हूं, भले ही अंग्रेजी में सर्व करो, मगर हिंदी पर गर्व करो. बुधवार को यह बातें पद्मश्री अशोक चक्रधर ने कहीं. वह छत्रपति शाहू जी महाराज विवि में विश्व हिंदी दिवस पर आयोजित भाषा उत्सव कार्यक्रम में शामिल होने आए थे. कार्यक्रम के बाद उन्होंने ईटीवी भारत से एक्सक्लूसिव बात की. उन्होंने कहा कि जब हम हिंदी बोलते हैं तो हमारी संस्कृति झलकती है, इसलिए अगर कहीं अंग्रेजी या अन्य भाषा की मिलावट करनी पड़े तो हम जरूर करें. लेकिन, हिंदी को हमें भूलना नहीं है.

पद्मश्री अशोक चक्रधर से जब पूछा गया कि मौजूदा सरकार में हिंदी के प्रचार-प्रसार को लेकर क्या कवायद हो रही है, आपके नजरिए से? इस सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि हिंदी का जितना प्रचार-प्रसार मौजूदा सरकार में हो रहा है, इतना तो कभी नहीं हुआ. बोले, हमारे देश का नेता हिंदी बोल रहा है. लेकिन, वो ये कभी नहीं कहता है कि हम हिंदी का प्रचार कर रहे हैं. आगे कहा कि भाषाओं का अब कोई संकट नहीं है, न ही द्विभाषियों की जरूरत है. डिजिटल दुनिया के इस दौर में हम कृत्रिम मेधा से अपनी भाषा को सुन सकते हैं, भले ही व्याख्यान दूसरी भाषा में हो रहा हो. हमारे यहां हिंदी में रोजगार के बहुत अधिक अवसर हैं, बस जरूरत है उन्हें भुनाने की. दूसरे देशों में जाकर हिंदी का कारोबार बहुत लोग कर पा रहे हैं. क्योंकि, यहां पर हिंदी को बहुत अधिक गंभीरता से नहीं समझ रहे.

अभिनेता व लेखक अखिलेंद्र मिश्रा

देश में दो प्रकार की शिक्षा व्यवस्था नहीं होनी चाहिए:जब कवि अशोक चक्रधर से पूछा गया कि आमतौर पर जो युवा अभिभावक हैं वह चाहते हैं कि उनका लाडला कॉन्वेंट स्कूल में शिक्षा ले, जहां हिंदी को बहुत अधिक तवज्जो नहीं मिलती, तो हिंदी का चलन कैसे बढ़ेगा? इस सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि मैं न तो शासक हूं, न ही प्रशासक. पर मैं यही कहूंगा कि देश में दो प्रकार की शिक्षा व्यवस्था नहीं होनी चाहिए. अगर किसी बच्चे को किसी कारणवश अपने क्षेत्र का पाठ्यक्रम पढ़ना है तो वह जरूर पढ़े. हां, पर हिंदी से उसकी दूरी नहीं होनी चाहिए. वह शिक्षा की मुख्य धारा से जरूर जुड़ा रहे. इस बात का ध्यान उनके अभिभावक को रखना चाहिए.

14 सितंबर को संविधान में बनी राजभाषा हिंदी: अब पूरे वर्ष भर में दो बार हिंदी दिवस के आयोजन होने लगे हैं? इसे लेकर हिंदी भाषियों को थोड़ा संदेह और भ्रम रहता है, आखिर ऐसा क्यों हैं? इस सवाल पर अशोक चक्रधर ने कहा कि 14 सितंबर को हम राजभाषा हिंदी दिवस मनाते हैं. क्योंकि, इसी दिन संविधान में सर्वसम्मति से हिंदी बनी. हां, तब से लेकर अब तक वह राजभाषा ही बन पाई, मगर राष्ट्रभाषा न बन सकी. जबकि, 10 जनवरी 1975 को पहला विश्व हिंदी सम्मेलन हुआ था और अब तक 12 ऐसे सम्मेलन हो चुके हैं, जिनमें हाल ही में फिजी में 12वां हिंदी सम्मेलन हुआ. इसलिए 10 जनवरी को हम विश्व हिंदी दिवस मनाने लगे. कहा कि वे बेहद खुश हैं कि इस विवि में दोनों ही हिंदी दिवसों पर शानदार आयोजन हुए. इस तरह के आयोजन होते भी रहने चाहिए.

लोग अपनी भाषा की गहराई नहीं समझ रहे:अभिनेता व लेखक अखिलेंद्र मिश्रा ने सभी को भाषा की गहराई का बोध कराया. उन्होंने कहा कि ब्रह्मांड में मौजूद हर कण की शुरुआत "अ", "ऊ" व "म" से बने "ओम" से होती है. मौजूदा समय में लोग अपनी भाषा की गहराई को नहीं समझ पा रहे हैं. साथ ही भूल जाते हैं कि वे जो भी बोलते हैं वो इस ब्रह्मांड में लौटकर वापस जरूर आता है. क्योंकि, शुरुआत सबकी एक ही कण से है. संस्कृत के अक्षर खुद में कपालभाति व अनुलोम-विलोम का रूप रखते हैं.

अभिनेता संग सेल्फी लेने को दिखी होड़: लगान फिल्म में अहम किरदार निभाने वाले अभिनेता अखिलेंद्र मिश्रा जैसे ही विवि में छात्रों के बीच पहुंचे तो उनके साथ एक सेल्फी लेने के लिए छात्रों की भीड़ उमड़ पड़ी. कार्यक्रम स्थल से वापस जाते समय छात्रों ने अभिनेता संग सेल्फी ली और उनसे कहा कि वह विवि जरूर आएं. अभिनेता अखिलेंद्र मिश्रा ने छात्रों से कहा कि अभिनय की दुनिया में अगर करिअर बनाना है तो आपको जमकर मेहनत करनी होगी.

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