कानपुर:संजीत अपहरण और हत्याकांड को आज 1 साल हो गया है. एक साल बीतने के बाद भी अभी तक संजीत का शव नहीं मिल पाया है. संजीत की मां और बहन रुचि का कहना है कि उनके भाई के साथ मानव तस्करी की गई है. पूरा परिवार पुलिस-प्रशासन और उसकी कार्यशैली पर उंगलियां उठा रहा है. परिवार का कहना है कि उनके साथ इंसाफ नहीं हुआ है. इस मामले में अभी भी जांच चल रही है.
क्या था पूरा मामला
जिले के बर्रा थाना क्षेत्र निवासी लैब टेक्नीशियन संजीत यादव का बीते साल 22 जून को अपहरण हो गया था. इसके बाद अपहरणकर्ताओं ने उसके परिजनों से 30 लाख रुपये की फिरौती मांगी थी. फिरौती देने के बाद भी हत्यारों ने संजीत को नहीं छोड़ा था. इस मामले में 23 जुलाई 2020 को एसएसपी दिनेश कुमार पी ने वीडियो जारी कर खुलासा करते हुए बताया था कि अपहरणकर्ताओं ने 26 से 27 जून के बीच में संजीत यादव का मर्डर किया है. इसकी आशंका पहले से जताई जा रही थी. एसएसपी ने बताया कि कई टीमें गठित की गईं थी. 29 जून को फिरौती की मांग की गई थी. मृतक के दो दोस्तों को गिरफ्तार किया है. जानकारी के मुताबिक 26 से 27 जून के बीच ही मर्डर किया गया था और शव को पांडु नदी में फेंक दिया गया था. मामले में कार्रवाई करते हुए संजीत अपहरण हत्याकांड मामले में कुल 8 लोगों को निलंबित किया गया था.
कौन-कौन हुआ था निलंबित
इस पूरे मामले में एसपी साउथ अपर्णा गुप्ता, सीओ मनोज कुमार गुप्ता, बर्रा इंस्पेक्टर रणजीत राय,दरोगा राजेश कुमार, दरोगा योगेंद्र प्रताप के अलावा कई सिपाही को निलंबित कर दिया गया था.
इस पूरे मामले में अब एसपी अपर्णा गुप्ता को बहाल कर दिया गया और मुरादाबाद जीआरपी में तैनाती दे दी गई है. जबकि सीओ मनोज कुमार गुप्ता के खिलाफ संयुक्त पुलिस आयुक्त अपराध एवं मुख्यालय लखनऊ के दफ्तर में जांच चल रही है. वहीं इंस्पेक्टर रंजीत राय, दारोगा और सिपाहियों की प्रारंभिक जांच कर रहे एसपी पूर्वी ने सभी को दोषी ठहराया है.