कानपुर:इस दीपावली पर आम लोग तो खुशी के साथ रोशनी के पर्व को मनाएंगे ही, यह दीपावाली शहर के गंगा किनारे बसी ऐतिहासिक धरोहर बिठूर के किसानों और कुम्हारों के लिए भी खास होगी. दरअसल, अभी तक वहां के कुम्हार जो उत्पाद बना रहे थे, उसमें उन्हें कई तरह की दिक्कतों का सामना करना पड़ता था. लेकिन, अब कुम्हारों ने जयपुर स्थित इंडियन इंस्टीट्यूट आफ क्राफ्ट एंड डिजाइन के विशेषज्ञों संग प्रशिक्षण हासिल कर लिया है.
जिसके बाद कुम्हार अब एक से बढ़कर एक डिजाइनर मिट्टी के दीये, करवा समेत अन्य उत्पादों को तैयार करेंगे. यह सब संभव हो पाया है, आईआईटी कानपुर कैम्पस में संचालित रणजीत सिंह रोजी शिक्षा केंद्र की वजह से. जिसकी देखरेख करने वाली रीता सिंह बताती हैं कि वह पिछले कई सालों से अपने टीम के सदस्यों संग बिठूर समेत कानपुर के आसपास के गांवों के बच्चों को शिक्षा मुहैया कराने का काम तो कर ही रही थीं. अब, उन्होंने किसानों व कुम्हारों की आजीविका को बढ़ाने का बीड़ा उठाया है. जिसमें वह कुम्हारों व किसानों को केंद्र में प्रशिक्षित करने के साथ ही, उनके उत्पादों को वैश्विक मंच देने की दिशा में कवायद कर रही हैं.