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कानपुर के डिस्लेक्सिया पीड़ित अनिरुद्ध को मिले 84 फीसद अंक, आईएएस बनने का है सपना - डिस्लेक्सिया पीड़ित अनिरुद्ध

कानपुर के डिस्लेक्सिया पीड़ित अनिरुद्ध ने स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं से जूझने के बावजूद हौसला नहीं खोया. वह नियमित पढ़ाई करता रहा. परिवार के लोगों ने भी हर कदम पर उसका सहयोग किया.

डिस्लेक्सिया पीड़ित अनिरुद्ध ने सीबीएसई में हासिल किए  84 फीसद अंक.
डिस्लेक्सिया पीड़ित अनिरुद्ध ने सीबीएसई में हासिल किए 84 फीसद अंक.

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Published : May 12, 2023, 7:50 PM IST

Updated : May 12, 2023, 8:00 PM IST

डिस्लेक्सिया पीड़ित अनिरुद्ध ने सीबीएसई में हासिल किए 84 फीसद अंक.

कानपुर :चुनौतियां सबके जीवन में आती हैं, कुछ इनसे हार जाते हैं तो कुछ डटकर मुकाबला कर अपनी कामयाबी की नई इबारत लिख देते हैं. कानपुर का रहने वाला अनिरुद्ध भी इनमें से एक है. शुक्रवार को सीबीएसई 10वीं का परिणाम आया. इसमें डिस्लेक्सिया से पीड़ित होने के बावजूद अनिरुद्ध ने 84 फीसद अंक हासिल किए. ईटीवी भारत की टीम ने इस होनहार से बातचीत की. इस दौरान उसने पढ़ाई की प्लानिंग से लेकर अपने लक्ष्य से जुड़ी कई जानकारियां साझा की.

जिल के कैंट के रहने वाले होनहार छात्र अनिरुद्ध ने बताया कि वह शहर के आजाद नगर स्थित डीपीएस स्कूल का छात्र है. डिस्लेक्सिया से पीड़ित होने के कारण उसे सीखने-समझने और पढ़ने में दिक्कत आती है. इस बीमारी में दिमाग भी प्रभावित हो जाता है. ऐसे में 10वीं में अच्छे अंक लाना किसी चुनौती के कम नहीं था. अनिरुद्ध ने बताया कि उन्होंने रोजाना पढ़ाई की. उनका सपना आईएएस बनना है. मजबूत इच्छाशक्ति वाले अनिरुद्ध का कहना है कि जीवन में चाहे जितनी चुनौतियां आ जाएं, वह कभी हार नहीं मानेगा. बता दें कि अनिरुद्ध की मां डॉ. सुमन राम सहाय राजकीय महाविद्यालय में एसोसिएट प्रोफेसर हैं. जबकि पिता आलोक वाजपेयी आईटी प्रोफेशनल हैं.

नौवीं कक्षा में पढ़ने वाले अक्षर ने लिखे उत्तर : सोचकर देखिए, क्या नौवीं कक्षा का छात्र 10वीं कक्षा के सवालों के जवाब लिख सकता है, शायद सभी का जवाब होगा नहीं, मगर डीपीएस में ऐसा ही हुआ. अनिरुद्ध के दस्तावेजों को जांचने के बाद सीबीएसई ने अनिरुद्ध को बोर्ड परीक्षा के दौरान राइटर रखने की अनुमति दी थी. इसके बाद स्कूल के ही नौवीं के छात्र अक्षर द्विवेदी ने अनिरुद्ध के सभी सवालों के जवाब लिखे. अक्षर ने बताया, कि अनिरुद्ध को सवालों का जवाब देने के लिए तीन के बजाय चार घंटे दिए गए थे . परीक्षा के दौरान मैं सवाल पढ़ता था, अनिरुद्ध उसका उत्तर बोलता था, वही मैं लिख देता था. अनिरुद्ध की इस सफलता से स्कूल की प्रधानाचार्य पुनीता कपूर व संस्थापक आलोक मिश्रा बेहद भी उत्साहित हैं.

बचपन में ही पता चल गई थी परेशानी : अनिरुद्ध की मां डॉ. सुमन ने बताया कि बेटे की बीमारी के बारे में उन्हें बचपन में ही पता लग गया था. पूरे परिवार ने उसे सपोर्ट किया. परिवार के हर सदस्य ने एक टीम की तरह काम किया. बेटे ने तय किया है कि उसे आईएएस बनना है तो सभी लोग आगे भी हर कदम पर उसका पूरा सहयोग करेंगे.

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Last Updated : May 12, 2023, 8:00 PM IST

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