जानकारी देते डीएम इन मेडिसिन डॉ. गिरीश कुमार सिंह कानपुर: अधिकतर कैंसर रोगियों के साथ सबसे बड़ी समस्या होती है, उनके मर्ज से जुड़ा दर्द. इसके अलावा शहर के एलएलआर समेत अन्य सरकारी अस्पतालों में सालों से घुटनों के दर्द, कमर दर्द, कंधों के दर्द के मरीज अपना इलाज कराने के लिए दौड़-भाग करते हैं. ऐसे मरीजों के लिए शहर के जीएसवीएम मेडिकल कालेज से बेहद राहतभरी खबर सामने आई है.
मरिजों का इलाज करते डीएम इन मेडिसिन डॉ. गिरीश कुमार सिंह जीएसवीएम मेडिकल कालेज के इतिहास में पहली बार डीएम इन मेडिसिन विभाग शुरू हो रहा है. इसके लिए देश के पहले डीएम इन मेडिसिन (सुपर स्पेशिलिस्ट) डॉ. गिरीश कुमार सिंह की नियुक्ति हो गई है. डॉ. गिरीश ने एम्स ऋषिकेश से डीएम इन मेडिसिन की पढ़ाई पूरी करने के बाद जीएसवीएम मेडिकल कालेज के सुपर स्पेशिलिटी अस्पताल में ज्वाइन किया है. उनका कहना है, कि अब दर्द से कराहने वालों का इलाज चुटकी बजाते होगा. कोशिश होगी, कि जो मरीज आए वह पूरी तरह से दर्दरहित होकर जाए. ईटीवी भारत को उन्होंने बताया कि सोमवार से जीएसवीएम मेडिकल कालेज के सुपर स्पेशिलिटी विंग में मरीजों का इलाज शुरू हो जाएगा.
मरीज का इलाज करने के बाद डॉ. गिरीश कुमार सिंह रेडियो फ्रीक्वेंसी, स्पाइनल कार्ड स्टेमुलेटर का करेंगे प्रयोग: डॉ. गिरीश ने बातचीत के दौरान बताया कि उनका फोकस खासतौर से कैंसर पीड़ित मरीजों पर होगा. उनके अलावा कमर दर्द, कंधों का दर्द, घुटनों का दर्द का इलाज पहले तो दवाइयों से करेंगे. अगर मरीजों को आराम नहीं मिलता है तो बैकपेन के लिए एंडोस्कोपिक तकनीक, कैंसर के लिए इंथ्रेटिकल पंप तकनीक, रेडियो फ्रीक्वेंसी ऐबलेजन तकनीक, कमर दर्द के लिए स्पाइनल कार्ड स्टेमुलेटर का प्रयोग करेंगे.
परकुंटोनियस एंडोस्कोपिक डिस्केटमी तकनीक से दूर होगा दर्द: डॉ. गिरीश ने बताया कि पिछले कुछ सालों से देखने में आ रहा है कि अधिकतर निजी व सरकारी कार्यालयों में काम करने वाले लोग जब कंप्यूटर पर घंटों काम करते हैं तो उनके कमर में दर्द शुरू होता है. कुछ माह तक यह साधारण रहता है, लेकिन एक समय के बाद यह असहनीय हो जाता है. इस दर्द को दूर करने के लिए हम परकुंटोनियस एंडोस्कोपिक डिस्केटमी तकनीक से यह जानेंगे कि कौन सी नस दबने के चलते ऐसा हो रहा है. उसके बाद आधा घंटा की एक प्रक्रिया में छोटा सा चीरा लगाकर उसे ठीक कर देंगे.
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