कानपुर:नोटबन्दी के तीन साल बाद भी चमड़ा उद्योग नही उबर पाया. नोटबंदी की मार ने चमड़ा उद्योग की ना सिर्फ कमर तोड़ दी बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी व्यापार मंद हो गया. देश में टेनरी निर्मित उत्पादन में 60 प्रतिशत की गिरावट आने की वजह से करीब 75 फीसदी कामगार बेरोजगार हो गये हैं.
चमड़ा उद्योग पर अब भी है नोटबंदी का असर
- प्रधानमंत्री मोदी द्वारा की गयी नोटबंदी को आज से 3 साल पूरे हो गए हैं.
- नोटबंदी की मार से आज भी कानपुर का चमड़ा उद्योग उबर नही पाया है.
- कानपुर देश मे सबसे ज्यादा चमड़ा एक्सपोर्ट करने वाले शहरों में से एक है.
- कानपुर के चमड़े से बनने वाले जूते, बेल्ट, जेकेट, पर्स आदि विदेशों तक एक्सपोर्ट किये जाते है.
- नोटबन्दी से पहले तक इन फैक्ट्रियों के पास से गुजरने से मशीनों की चलने की आवाजे व लेबरों की आवाजाही दिखाई देती थी.
- नोटबंदी की मार ऐसी पड़ी कि मशीनों ने मौन धारण कर लिया और यहां काम करने वाले लेबरों ने अपने गांव का रुख कर लिया.
- कई छोटी बड़ी फैक्ट्रियां इस नोटबंदी की मार से बंद हो गयी हैं.