कानपुर: एक तरफ खाड़ी देशों में नुपूर शर्मा के बयान को लेकर विरोध किया जा रहा है, वहां के शॉपिंग मॉल्स में भारतीय सामानों का बहिष्कार किया जा रहा है. वहीं, इन सबके बीच भारतीय प्रोडक्ट की डिमांड काफी बढ़ गई है. कानपुर से अरब देशों को निर्यात किए जाने वाले उत्पादों की मांग में अचानक उछाल आ गया है. उद्योगों के संगठन फियो की माने तो बीते एक माह में करीब 13 फीसदी के निर्यात में उछाल आया है. ऐसे में खाड़ी देशों की नाराजगी से डरे उद्यमियों के चेहरे अब बढ़ते मुनाफे की खुशी से चमकने लगे हैं.
फेडरेशन आफ इंडियन एक्सपोर्ट आर्गेनाइजेशन (फियो) की माने तो कानपुर से यूएई, यमन, जार्डन, बहरीन, कुवैत, कतर को चमड़ा, मसाले, बासमती व सामान्य चावल निर्यात किया जाता है. बीते एक साल में कानपुर से किए गए निर्यात में 29 फीसदी का उछाल आया है, वही अगर बात बीते एक माह की कि जाए तो निर्यात में अभी तक 13 फीसदी की वृद्धि दर्ज की गई है. इन आंकड़ों ने कानपुर के उद्योग जगत को खासी राहत दी है. दरअसल, नुपूर शर्मा के बयान के बाद उठे विवाद से खाड़ी देशों की नाराजगी और वहां की जा रही भारतीय सामान के बहिष्कार की अपील ने शहर के उद्यमियों को सकते में ला दिया था. अचानक डिमांड बढ़ने से इन उद्यमियों की ये चिंता दूर हो गई है.
कहीं ये वजह तो नहीं...
इस बारे में फियो के सहायक निदेशक आलोक श्रीवास्तव ने ईटीवी भारत को बताया कि विवादित बयानबाजी का माहौल पूरे देश-दुनिया में जरूर था लेकिन, इसी बीच भारत-यूएई के बीच सीपा करार (कॉम्प्रिहेंसिव इकोनामिक पार्टनरशिप एग्रीमेंट) हुआ. इसके तहत अब निर्यातकों को नए बाजार मिल गए है. कई ऐसे उत्पाद थे, जिनपर निर्यातकों को इंपोर्ट ड्यूटी के तौर पर पांच से 10 फीसदी तक कर देना होता था, तब उनके उत्पाद अरब देशों में बिकते थे. सीपा करार के तहत यह कर घटकर शून्य से पांच फीसदी कर दिया गया है. इससे शहर के उद्यमियों को बड़ी राहत मिली है.