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kanpur news: ड्रोन से बोए जाएंगे बीज, बीमारियों की पहचान कर दवाइयों का होगा छिड़काव

अब खेती को उन्नत बनाने के लिए हाईटेक तकनीक का इस्तेमाल हो रहा है. इन्हीं तकनीकों में एक तकनीक है ड्रोन. इसके जरिए खेत में बीज बोने के साथ ही दवाइयों के छिड़काव में किसानों को काफी सहूलियत मिलेगी. चलिए जानते हैं पूरी खबर के बारे में.

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ड्रोन से बोए जाएंगे बीज, बीमारियों क़ी पहचान कर दवाइयों का होगा छिड़काव

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Published : Jan 21, 2023, 7:55 PM IST

कानपुर: अभी तक आपने खेतों में किसानों को हमेशा मौसम के साथ ही बीजों को बोते देखा होगा. बेहद संघर्ष के बाद जब किसान बीज बोते हैं तो उनकी फसल तैयार होती है. हालांकि, अक्सर ही यह सुनने को मिलता है कि फसलों में कीड़े लग या फसल में बीमारियां लग गईं तो किसानों की मेहनत पर पानी फिर जाता है मगर, अब किसानों को बहुत बड़ी राहत मिलने वाली है. किसान केवल अपने खेतों में मौजूद रहेंगे और ड्रोन से बीज बोए जाएंगे और ड्रोन से ही बीमारियों का पता लगने के बाद दवाइयों का छिड़काव ड्रोन से हो सकेगा. इस संंबंध में देश के बेहतर कृषि संस्थानों के वैज्ञानिक 27 से 29 जनवरी तक छत्रपति शाहू जी महाराज विवि आएंगे और उत्तर भारत की पहली ड्रोन कांफ्रेंस को संबोधित करेंगे.

सीएसजेएमयू के प्रति कुलपति प्रो.सुधीर अवस्थी ने दी यह जानकारी.

इस पूरे मामले पर सीएसजेएमयू के प्रतिकुलपति प्रो.सुधीर अवस्थी ने बताया कि देश की अर्थव्यवस्था में बहुत अधिक योगदान कृषि का है. अगर कृषि क्षेत्र उपेक्षित होगा तो पीएम मोदी की जो तीन बिलियन (अर्थव्यवस्था) है संबंधी परिकल्पना है वह पूरी नहीं हो पाएगी लेकिन, हमें कृषि में एडवांस तकनीकों को शामिल करना है, जिससे किसान स्मार्ट ढंग से खेती करके अधिक से अधिक फसलों की पैदावार कर सकें. साथ ही उनकी लागत कम से कम हो. इससे पीएम मोदी की परिकल्पना को हम मूर्त रूप में जाग्रत कर सकेंगे. उन्होंने बताया सीएसजेेएमयू व एग्री मीट फाउंडेशन के साथ विवि द्वारा पहली बार उत्तर भारत की ड्रोन कांफ्रेंस आयोजित होगी.



इन कृषि संस्थानों से आएंगे वैज्ञानिक

  • भारतीय दलहन अनुसंधान संस्थान, कल्याणपुर
  • गन्ना अनुसंधान संस्थान, लखनऊ
  • उपोष्ण बागवानी संस्थान, लखनऊ
  • चंद्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिकी विवि, कानपुर
  • रानी लक्ष्मीबाई केंद्रीय कृषि विवि, झांसी
  • राजमाता कृषि विवि, ग्वालियर
  • नाबार्ड-सीएआइई, ग्वालियर
  • वर्ल्ड एग्रीकल्चर आर्गेनाइजेशन
  • हिंदुस्तार एग्रीकल्चर सोसाइटी

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