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गांधी जयंती 2020: राष्ट्रपिता के नाम पर बने स्कूल की नींव 'जर्जर'

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Published : Oct 2, 2020, 8:37 AM IST

इस साल 02 अक्टूबर 2020 को महात्मा गांधी की जयंती के 151 वर्ष पूरे हो गए. गांंधीजी सत्य और अहिंसा के पुजारी थे. बापू को विश्व पटल पर अहिंसा के प्रतीक के रूप में जाना जाता है. बावजूद इसके गांधीजी के स्मृति अब धूमिल होती जा रही है. कानपुर स्थित महात्मा गांधी विद्यालय इंटरमीडिएट कॉलेज बदहाली की मार झेल रहा है.

ष्ट्रपिता के नाम पर बनी स्कूल की नींव जर्जर
ष्ट्रपिता के नाम पर बनी स्कूल की नींव जर्जर

कानपुर: 02 अक्टूबर को पूरे देश में गांधी जयंती के रूप में मनाया जाता है, लेकिन यह तारीख अब मात्र सरकारी छुट्टी में ही सिमट कर रह गई है. समय के साथ-साथ लोग गांधी के विचारों को भी भूलते जा रहे हैं. खासकर कानपुर में तो ऐसा ही लगता है, यहां गांधी जी के नाम पर बनी इमारतें, संस्थान और स्कूल कॉलेज भी खस्ताहाल की स्थिति में हैं.

शहर के विजय नगर स्थित महात्मा गांधी इंटरमीडिएट कॉलेज अपनी बदहाली और शासन की बेरुखी पर आंसू बहा रहा है. इस स्कूल के आसपास सत्ता पक्ष के कई कद्दावर नेता रहते हैं, लेकिन किसी की निगाह इस कॉलेज की बदहाली पर नहीं पड़ती है. कभी इस कॉलेज में 32 टीचर के स्टाफ के साथ 4000 बच्चे पढ़ा करते थे, वहीं आज सिर्फ 54 बच्चे और 3 टीचर शेष बचे हैं. साथ ही पूरे कॉलेज की बिल्डिंग जर्जर हो चुकी है.

स्पेशल रिपोर्ट.

जीर्ण शीर्ण अवस्था में हैं गांधी का स्मारक यह शिक्षण संस्थान
महात्मा गांधी का कानपुर से पुराना नाता रहा है. बापू चौथी बार 8 अगस्त 1921 को कानपुर आए. अगले दिन जुलूस के साथ मारवाड़ी विद्यालय पहुंचे, जहां उन्होंने वस्त्र व्यापारियों को संबोधित किया. इस संबोधन के दौरान बापू ने विदेशी वस्तुओं के बहिष्कार व स्वदेशी को अपनाने की बात कही थी. अगले दिन 9 अगस्त को बापू का नागरिक अभिनंदन किया गया. बापू खिलाफत के संदर्भ में हिंदू-मुस्लिम एकता, गौ रक्षा और स्वदेशी पर बोले.

गांधी ने अपने अहिंसा के बल पर हमें आज़ादी दिलवाई, लेकिन आज उसी गांधी की स्थिति बद से बदतर है. महात्मा गांधी इंटरमीडिएट कॉलेज के प्रांगण में गांधी की प्रतिमा लगी हुई है, जो आज जर्जर हो चुकी है. मूर्ति के ऊपर न किसी प्रकार की छाया की व्यवस्था है और न मूर्ति की सही तरीके से देख रेख की जाती है. यही कारण है कि प्रतिमा कई जगह से टूट चुकी है.

इस वजह से पड़ा महात्मा गांधी नाम
बता दें कि 1962 तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू ने 02 अक्टूबर को सामाजिक कल्याण योजना के अंतर्गत एक आदेश जारी किया था. इसके तहत गांधीजी के नाम पर कोई भी संस्था शुरू करने पर जिले के नगर निकाय की तरफ से जमीन दिए जाने के निर्देश थे. इसके बाद एक समिति का गठन हुआ, जिसने गांधीजी के नाम पर स्कूल शुरू करने का प्रस्ताव रखा था. तत्पश्चात गांधीजी के नाम पर स्कूल का नाम महात्मा गांधी इंटरमीडिएट कॉलेज रखा गया.

स्कूल के पढ़े बच्चे यूएस तक कर रहे नाम रोशन
कॉलेज के प्रिंसिपल राम सेवक सरोज ने बताया कि इस स्कूल में पढ़े हुए कई बच्चे यूएस तक में अपनी प्रतिभा के दम पर अलग-अलग सेवाओं में कार्यरत हैं. साथ ही अपने देश के भी कई महत्वपूर्ण पदों पर महात्मा गांधी कॉलेज से पढ़े बच्चे कार्यरत हैं. यहां के पढ़े हुए बच्चे अपने जिले व देश का नाम रोशन कर रहे हैं.

बदहाली झेल रहा बापू का स्कूल
आज बापू का यह स्कूल बदहाली की मार झेल रहा है. यहां लगी उनकी प्रतिमा टूट चुकी है. स्कूल की बिल्डिंग पूरी तरह जर्जर हो चुकी है. कॉलेज के प्रिंसिपल राम सेवक सरोज ने बताया कि इस स्कूल में 11 कमरे हैं, वहीं शासन की ओर से महज 3 टीचर्स तैनात कराए गए हैं. इन शिक्षकों को कक्षा 6 से लेकर 12 तक के बच्चों को पढ़ाने के लिए रखा गया है. कई बार शासन को इस बात से अवगत कराया गया है, बावजूद इसके शिक्षकों की संख्या बढ़ाई नहीं जा रही है.

आज महज 54 बच्चे पढ़ रहे
बता दें कि कभी इस स्कूल में 32 टीचर्स पढ़ाया करते थे और स्कूल में 4000 बच्चों की उपस्थिति रहती थी. उस समय पूरा स्कूल बच्चों से भरा रहता था. पूरे मंडल में अच्छे स्कूलों में इसकी गिनती होती थी, लेकिन आज इस स्कूल में सिर्फ 54 बच्चे ही शेष रह गए हैं. साथ ही धीरे धीरे लोगों का इस स्कूल के प्रति भी मोह भंग हो गया है.

टीचर्स पैसे मिलाकर करा रहे हैं मरम्मत
कॉलेज के प्रिंसिपल राम सेवक सरोज के मुताबिक, स्कूल बिल्कुल जर्जर हो चुका हैं, लेकिन इसके मरम्मत में शासन की कोई दिलचस्पी नहीं है. शासन पूरी तरह से इस मामले में लापरवाही बरत रहा है. प्रशासन की अनदेखी के चलते स्कूल के टीचर्स की प्रधानता दिखा रहे हैं. उन्होंने बताया कि स्कूल के शिक्षक अपने पैसौं से स्कूल की मरम्मत कराते हैं.

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