कानपुर: छठ व्रत पूजा के चौथे दिन रविवार को पूर्वांचल और बिहार की महिलाओं ने घाटों पर पूजा अर्चना की. महिलाओं ने डूबते सूर्य को अर्घ्य दिया और देर रात से घाटों पर व्रत रखने वाले परिवार सहित पूजा अर्चना कर रविवार को उगते सूर्य को अर्घ्य देकर व्रत का पारण किया.
जिले के पनकी नहर, अर्मापुर, सीटीआई, विजय नगर, शास्त्री नगर, सेंट्रल पार्क, बर्रा, गुजैनी, मेहरबान सिंह का पुरवा, गोला घाट, गंगा बैराज, सिद्धनाथ आदि घाटों पर बने कृत्रिम तालाबों में छठ मैया की पूजा करने वाली महिलाओं की भीड़ जुटी थी.
अर्घ्य देकर महिलाओं ने किया व्रत का पारण.
पुआ-पूड़ी का चढाया गया भोग
महिलाएं फल, फूल, पुआ, पूड़ी, ठेकुआ और पूजा सामग्री से भरी डलिया, और सूप लेकर घाटों और तालाबों पर वेदी पर दीप जलाकर छठ मैया की आरती उतारी. इसके बाद मांग में सिंदूर भरकर सूर्य की आराधना के लिए सूप में नारियल और दीपक रख कर अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य दिया. ढोल, नगाड़े और टोली के साथ आए परिवार के अन्य सदस्यों ने बच्चों की लंबी आयु की कामना की. सूर्य को अर्घ्य देकर 36 घंटे का निर्जला व्रत का पारण की.
छठ मैया का किया गया शृंगार
महिलाएं गीत गाते हुए परिवार के सदस्यों के साथ अपने-अपने घरों को लौट गई थी. अर्मापुर नहर और पॉवर हाउस घाट में तो लग रहा था कि पूरा बिहार आ गया हो. हर कोई अपने सिर पर पूजन की डलिया रखकर चल रहा था वहीं महिलाएं पूर्ण शृंगार कर छठ मैया के गीत गाते हुए चल रही थीं. शास्त्री नगर, विजय नगर, पांडुनगर, डबल पुलिया, अर्मापुर इस्टेट में जाम की स्थिति रही.
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जेटू पार्क विजय नगर में भी हुई छठ पूजा
विजय नगर स्थित जेटू पार्क में भी छठ पूजा बड़े ही धूम-धाम से मनाया गया. क्षेत्रीय विकास समिति और मोहल्ले के लोगों ने पार्क में कृत्रिम तालाब बनाकर छठ पूजा किया. पार्क में विजय नगर, शास्त्री नगर, डबल पुलिया, काकादेव, रावतपुर गांव की महिलाएं भी पूजा अर्चना के लिए पहुंची थी.
रात भर हुआ भजन-कीर्तन
घाटों पर छठ पूजा के बाद महिलाओं ने घर के आंगन में आटे की चौक डालकर छठ मैया का पाटा रखा. इसके बाद नई साड़ी से मंडप सजाकर उसमें पूजा सामग्री से भरी डलिया, डलवा और सूप रख कर गन्ने से सजाया और बाद रात भर छठ के गीत और भजन गायी.
अदरक और गुड़ खाकर व्रत का पारण
रात भर छठ के गीत गाकर भजन कीर्तन करने वाली व्रती महिलाएं रविवार की भोर में डलिया-डलवा, सूप और कोसी लेकर दोबारा घाट किनारे वेदी पर पहुंची थी. उगते सूर्य को दूध और जल से अर्घ्य देकर छठ मैया से घर परिवार की सलामती मांगी. इसके बाद घर लौटकर अदरक और गुड़ खाकर पारण किया.