कानपुर :कोरोना का कहर लगातार जारी है. रोजाना हजारों मामले सामने आ रहे हैं. वहीं रिकॉर्ड मौतों से हड़कंप मचा हुआ है. अब तक कई राजनेताओं और जानी-मानी हस्तियों का कोरोना संक्रमण से निधन हो चुका है. सोमवार को कानपुर में एक निजी अस्पताल में भर्ती भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ प्रवक्ता मनोज मिश्रा का भी कोरोना से निधन हो गया.
बता दें कि मनोज मिश्रा उत्तर प्रदेश भाजपा के बड़े नेताओं में गिने जाते थे, जिसके चलते उन्हें प्रदेश प्रवक्ता का पद मिला हुआ था. वह पिछले दिनों कोविड-19 की चपेट में आ गए थे. उनका इलाज कानपुर के एक निजी अस्पताल में चल रहा था. वह वेंटिलेटर पर भी पहुंच गए थे. इसके पहले एक बार उनके निधन की अफवाह भी चली थी, जिसका भारतीय जनता पार्टी ने खंडन किया था. वहीं सोमवार सुबह एक बार फिर उनके निधन की खबर आई. इस बार खबर सही थी. यह पता चलते ही भाजपा कार्यकर्ताओं में शोक की लहर दौड़ गई. मनोज मिश्रा कानपुर के डीएवी कॉलेज में प्रोफेसर पद पर थे. बीती रात 2:30 बजे उन्होंने आखिरी सांस ली.
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आडवाणी हों या राजनाथ, सबके चहेते थे मनोज मिश्रा
डॉ. मनोज मिश्र कानपुर डीएवी कॉलेज में फिजिक्स के प्रॉफेसर रहे. बहुत कम उम्र में उन्हें पार्टी के प्रदेश की टीम में शामिल किया गया. उनकी योग्यता को देखते हुए पार्टी नेतृत्व ने उन्हें प्रदेश प्रवक्ता बनाया. 13 साल से वह मीडिया में पार्टी का पक्ष रख रहे थे. पार्टी का पक्ष इतनी सहजता और प्रभावी ढंग से रखते थे कि विरोधी भी उनका लोहा मानते थे. कभी भी वह नियंत्रण नहीं खोए. भाषा पर भी उनकी मजबूत पकड़ थी. जितनी अच्छी हिंदी उतनी ही अच्छी अंग्रेजी भी उनकी थी. डॉ. मनोज मिश्र बड़े-बड़े कद्दावर नेताओं के करीबी भी रहे. पार्टी के शिखर नेतृत्व में लालकृष्ण आडवाणी डॉ. मनोज मिश्र को जानते ही नहीं थे बल्कि उनसे स्नेह भी करते थे. इसी प्रकार रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह हों या फिर पार्टी के अन्य तमाम नेता, सभी मनोज मिश्र के व्यक्तित्व के कायल थे. राजनीति में रहकर भी वह विवादों में नहीं रहे. दूसरे दलों के लोग भी उन्हें मानते थे.
मुलायम सिंह के कहने पर भी सपा में नहीं गए
डॉ. मनोज मिश्र के सपा नेता व पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह से अच्छे रिश्ते थे. दरअसल, डॉक्टर मिश्र के पिता भी शिक्षक थे और स्थानीय राजनीति में उस वक्त सक्रिय थे, जब मुलायम सिंह ने अपनी राजनीति शुरू की थी. पिता की वजह से ही डॉक्टर मनोज मिश्र को मुलायम सिंह का भी स्नेह मिलता था. एक बार डॉक्टर मनोज मिश्र को मुलायम सिंह यादव ने मुख्यमंत्री बनने के बाद बुलाया. समाजवादी पार्टी ज्वाइन करने के लिए कहा. इस पर डॉ. मनोज मिश्र ने कहा बाबूजी विचार करेंगे लेकिन वह दोबारा मिलने नहीं गए. उन्होंने 1980 के दशक से भाजपा में राजनीति शुरू की थी.
सीडी कांड से सुर्खियों में रहे मनोज
2007 के विधानसभा चुनाव के दौरान भाजपा के सीडी कांड में उनका नाम आया था. वह सुर्खियों रहे थे. दरअसल पार्टी के कुछ नेताओं ने मिलकर बाबरी विध्वंस और हिंदुत्व को लेकर एक सीडी तैयार की थी. वह सीडी लांच की गई. इसके बाद पार्टी घिर गई. हालांकि इसमें डॉ. मनोज मिश्र की भूमिका सिर्फ इतनी ही थी कि उन्हें सीडी तैयार करने की जिम्मेदारी सौंपी गई थी और उन्होंने सीडी तैयार कर दी थी. उस समय की यह घटना और डॉ. मनोज मिश्र राष्ट्रीय स्तर पर सुर्खियों में छाए रहे.
बेबाक थे मनोज मिश्र
मनोज मिश्र की सहजता के साथ बेबाकी पहचान रही. उनसे यदि किसी नेता ने अपने बारे में कभी फीडबैक या फिर चुनाव परिणामों के बारे में अनुमान जानना चाहा तो उन्होंने सच कहा. इसमें कोई लागलपेट नहीं की. उन्होंने मुझसे ही इस तरह की कई घटनाओं का जिक्र किया था. आमतौर पर पार्टी कार्यकर्ता या छोटे नेताओं से कोई बड़ा नेता कुछ पूछता तो वह नेता के हिसाब से ही बताता है. एक बार मनोज मिश्र से राजनाथ सिंह ने यूपी विधानसभा चुनाव परिणाम के बारे में अनुमान जानना चाहा तो उन्होंने स्पष्ट कहा दिया कि पार्टी चुनाव हार रही है. ऐसे ही एक नेता ने इनसे अपने बारे में फीडबैक जानना चाहा तो उन्होंने सच कह दिया.
मिश्र के निधन पर भाजपा में शोक की लहर
पार्टी के वरिष्ठ प्रवक्ता के निधन पर भाजपा में शोक की लहर है. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ समेत पार्टी के अन्य नेताओं ने डॉ.मनोज मिश्र के निधन पर गहरा शोक व्यक्त किया है. मुख्यमंत्री ने दिवंगत आत्मा की शान्ति की कामना करते हुए शोक संतप्त परिजनों के प्रति संवेदना व्यक्त की है.