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सूबे में पहली बार सीएसजेएमयू में बनेगा बॉयो डायवर्सिटी पार्क, साइबेरियन पक्षी बनाएंगे घर - कानपुर की खबरें

सूबे में पहली बार छत्रपति शाहू जी महाराज विवि में बॉयो डायवर्सिटी पार्क तैयार किया जाएगा. चलिए जानते हैं इसकी खासियत के बारे में.

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सूबे में पहली बार सीएसजेएमयू में बनेगा बायोडायवर्सिटी पार्क, साइबेरियन पक्षी बनाएंगे घर

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Published : Mar 27, 2023, 8:51 PM IST

कानपुर: जैसे ही आप छत्रपति शाहू जी महाराज विवि के अंदर प्रवेश करेंगे आपको अपने चारों ओर हरियाली तो नजर आएगी. साथ ही रंग-बिरंगे पक्षियों की मधुर आवाज भी कानों तक पहुंच जाएगी. विवि के इस हरियाली को जिसने भी देखा है, उसने सराहा है. यहां कई भवनों का निर्माण जरूर हुआ, लेकिन हरियाली की अपनी सुंदरता बरकरार है. अब इसी सीएसजेएमयू में ऐसा बॉयो डायवर्सिटी पार्क बनने जा रहा है, जिसमें विवि कैम्पस की हर विलुप्त व दुर्लभ प्रजाति (पौधों, पशु व पक्षी) को संरक्षित किया जा सकेगा.

विश्वविद्यालय की ओर से दी गई यह जानकारी.

सीएसजेएमयू सूबे का पहला ऐसा विवि होगा, जहां यह अनूठी कवायद होगी. साथ ही, इस कवायद की जानकारी विवि के 37वें दीक्षांत समारोह में जब राज्यपाल आनंदीबेन पटेल को मिली थी, तो उन्होंने भी इस कदम को सराहनीय बताया था. इस पार्क की सबसे बड़ी खासियत होगी, कि यहां साइबेरियन पक्षियों के प्रजनन को लेकर भी काम होगा.

ईटीवी भारत से विशेष बातचीत में विश्वविद्यालय के प्रति कुलपति सुधीर कुमार अवस्थी ने इस बॉयो डायवर्सिटी पार्क को लेकर कहा कि इस फैसले से अब छात्रों को पर्यावरण से सीधा जोड़ेंगे. उन्होंने कहा कि हमारा मकसद है जो जैव प्रजातियां प्रदेश में विलुप्त हो रही हैं, उनको हम संरक्षित करें. वह बोले ऐसा पहली बार होगा जब हम तमाम प्रजातियों का संरक्षण कर लेंगे तो उनका नामकरण भी कराएंगे. केंद्र और राज्य की ऐसी संस्थाएं जो पर्यावरण की दिशा में काम कर रही हैं, उनके विशेषज्ञों को इस पार्क में बुलाएंगे और भविष्य में साथ मिलकर कई अन्य नवाचार करेंगे.

बॉयो डायवर्सिटी का अर्थ है जिस तरीके से जीव जंतुओं की जो प्रजातियां विलुप्त हो रही है उनको संरक्षित करना. साथ ही अलग-अलग तरह के पेड़-पौधों वह पशु-पक्षियों को धरती पर एक जगह और एक साथ उनके अस्तित्व को बनाए रखना. कानपुर विश्वविद्यालय में लगभग 10 एकड़ के एक जंगल में इस बॉयो डायवर्सिटी पार्क को विकसित किया जाएगा. इसमें किसी भी तरह का ह्यूमन इंटरफेयर न हो सके इसके लिए भी खास व्यवस्था की जाएगी. इसमें साइबेरिया के पक्षी भी संरक्षण ले सकेंगे. इसके साथ ही विदेशी प्रजातियों के पेड़-पौधों को संरक्षित करने के लिए इसके अंदर सरोवर का भी निर्माण कराया जाएगा.

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