कानपुर:कोरोना (coronavirus) की दूसरी लहर ने पूरे देश में हाहाकार मचा रखा था. महामारी के प्रकोप से कानपुर शहर भी अछूता नहीं रहा. अप्रैल और मई में कोरोना संक्रमित लोगों की मौत में इजाफा हुआ, जिसके बाद से घाटों में शवों की लंबी कतारे देखने को मिली. कानपुर में चाहे भैरवघाट हो, भगवतदास घाट हो या सिध्नाथघाट हो सभी घाटों पर शवों के अन्तिम संस्कार को लेकर भीड़ थी. वर्तमान हालात अब कुछ ये हैं कि घाटों में भीड़ तो कम है, लेकिन अस्थियां आज भी मोक्ष के इंतजार में हैं.
अस्थियों का नहीं हो सका मोक्षदाहनी गंगा में प्रवाह
कोविड की दूसरी लहर में कहीं पूरा परिवार ही खत्म हो गया तो कहीं परिवार में एक सदस्य या दो सदस्य की मौत हुई. इसके अलावा परिवार के अन्य सदस्य अस्पताल में जिन्दगी और मौत की जंग लड़ रहे. इसके चलते इन अस्थियों का अभी तक मोक्षदाहनी गंगा में प्रवाह नहीं हो सका. वहीं समाज मे ऐसे लोग भी हैं, जो इस कोरोना संकटकाल में भी अपने के साथ घाटों में डटे रहे. ऐसे ही कानपुर के समाज कल्याण सेवा समिति के सचिव धनीराम पैंथर हैं, जो कि कोरोना पॉजिटिव शवों का विद्युत शवदाह गृह में अन्तिम संस्कार करा रहे हैं.
समाजसेवी धनीराम पैंथर ने दी जानकारी