कानपुर: एंबुलेंस कर्मचारियों का तीन दिन से धरना प्रदर्शन जारी है. कोरोना काल में जो कोरोना योद्धा सम्मान सर्टिफिकेट दिए गए थे, उसे जलाकर एंबुलेंस कर्मचारियों ने अपना विरोध दर्ज किया. कोरोना की पहली और दूसरी लहर के दौरान एंबुलेंस कर्मचारियों ने अपनी जान जोखिम में डालकर अपना कर्तव्य निभाया था. कर्मचारियों का आरोप है कि उनको कोई लाभ नहीं मिला, बल्कि बड़ी संख्या में कर्मचारियों को एक साथ नौकरी से निकाल दिया गया.
कानपुर में प्रदर्शन करते एंबुलेंस कर्मचारी कानपुर के काशीराम ट्रॉमा सेंटर में एंबुलेंस कर्मचारियों का तीन दिन से धरना प्रदर्शन चल रहा है. सोमवार को प्रदर्शन कर रहे एंबुलेंस कर्मचारियों ने कोरोना काल में मिले कोरोना योद्धा सम्मान के सर्टिफिकेट को जलाकर अपना विरोध दर्ज किया. प्रदर्शनकारियों ने कहा कि अगर हमारी मांगे नहीं पूरी हुई तो पूरे उत्तर प्रदेश में एंबुलेंस कर्मी हड़ताल पर चले जाएंगे और इससे अगर किसी मरीज को कोई दिक्कत होती है तो उसकी जिम्मेदारी सरकार की होगी.
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एसोसिएशन के जिला मंत्री अजय सिंह ने कहा कि नई कंपनी ने एएलएस के 1200 कर्मचारियों को प्रदेश भर से निकाल दिया है. यह भी आरोप लगाया कि अब तक एएलएस अपने कर्मियों को 13700 रुपये देती थी. वहीं नई कंपनी 10700 रुपये ही दे रही है. इसी बात का विरोध करने के लिए हड़ताल की गई. उन्होंने कहा जब बात नहीं बनी तो मजबूरी में शनिवार की रात 12 बजे से एंबुलेंस के पहिए को रोककर सभी कर्मचारी हड़ताल चले गए हैं. उन्होंने कहा कि यह विरोध आगे भी जारी रहेगा, जब तक उनकी मांगें नहीं पूरी हो जाती हैं.
उत्तर प्रदेश के कई जिलों में 108 और 102 एबुलेंस की हड़ताल चल रही है. पूरे प्रदेश में करीब साढ़े तीन हजार एंबुलेंस चालक आज हड़ताल पर हैं. यूपी सरकार ने एंबुलेंस संचालन की जिम्मेदारी चिकित्सा हेल्थ लिमिटेड कंपनी को दी है, जबकि पहले इसका संचालन जीवीके कंपनी करती थी. अब कंपनी अपने स्तर से कर्मचारियों की नियुक्ति और हटाने को लेकर काम कर रही है, जिसके बाद बड़ी संख्या में कर्मचारियों की छंटनी की गयी है.