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कानपुर:आईआईटी के 52वें दीक्षांत समारोह में छात्र-छात्राओं पर बरसे मेडल

52वें दीक्षांत समारोह में डिग्री और मेडल मिलते ही 1626 छात्र-छात्राओं के चेहरों पर मुस्कान देखने लायक थी. इस मौके पर देश की तीन विभूतियों, मिसाइल तकनीकी की हुनरमंद वैज्ञानिक डॉ. टेसी थॉमस, इंफोसिस फाउंडेशन की चेयरपर्सन पद्मश्री सुधा मूर्ति व भारतीय बैडमिंटन टीम के चीफ कोच पुलेला गोपीचंद शामिल हुए.

आईआईटी कानपुर का 52वें दीक्षांत समारोह

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Published : Jun 28, 2019, 8:44 PM IST

कानपुरः आईआईटी कानपुर का 52वां दीक्षांत समारोह शुक्रवार को संपन्न हुआ. कार्यक्रम में मुख्य अतिथि नेसकॉम के पूर्व चेयरमैन बीवीआर मोहन व विशिष्ट अतिथि आईआईटी कानपुर के बोर्ड ऑफ गवर्नर्स के चेयरमैन प्रो. के राधाकृष्णन रहे. तीन अलग-अलग चरणों में होने वाले इस समारोह में कुल 1626 छात्र-छात्राओं को उपाधि दी गई. ऐसा पहली बार हुआ है जब आइआइटी में 200 से अधिक छात्र-छात्राओं को पीएचडी की डिग्री मिली. समारोह की अध्यक्षता खुद निदेशक प्रो.अभर करंदीकर ने की.

आईआईटी कानपुर का 52वें दीक्षांत समारोह.

डिग्री पाकर खिल उठे चेहरेः

आईआईटी कानपुर के निदेशक अभय करंदीकर ने बताया कि मैथ्स एंड साइंटिफिक कंप्यूटिंग एजुकेशन के छात्र सोमेश्वर जैन को प्रेसीडेंट गोल्ड मेडल दिया गया. सोमेश्वर ने दस सीपीआइ के साथ बीटेक परीक्षा पास की है.अधिकतम अंकों के अलावा ओवर ऑल पर्सनैलिटी के आधार पर उन्हें इस अवार्ड के लिए चुना गया है. इसके अलावा बीटेक इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिग के छात्र संतोष को डॉ.शंकर दयाल शर्मा मेडल मिला.छात्र सुनील कुमार पांडेय व अनंत नारायण को डायरेक्टर्स गोल्ड मेडल से नवाजा गया.

तीन हस्तियों को डॉक्टर ऑफ साइंस की उपाधि दी गई-

डॉ.तेसी थॉमस

डॉ.तेसी थॉमस डीआरडीओ के एरोनॉटिकल सिस्टम की डायरेक्टर जनरल हैं. उन्होंने कालीकट यूनिवर्सिटी से वर्ष 1985 में बीटेक किया था. साथ ही मिसाइल गाइडेंस के क्षेत्र में जवाहर लाल नेहरू टेक्नोलॉजिकल यूनिवर्सिटी हैदराबाद से वर्ष 2014 में पीएचडी पूरी की. वर्ष 2007 में उन्होंने इग्नू नई दिल्ली से एमबीए की पढ़ाई पूरी की है.

सुधा मूर्ति

इंफोसिस फाउंडेशन की चेयरपर्सन सुधा मूर्ति ने छात्र छात्राओं को संबोधित किया. सुधा मूर्ति को वर्ष 2006 में पद्मश्री से सम्मानित किया जा चुका है. उन्हें समाज सेवा से जुड़े कार्यो के लिए जाना जाता है. वह न्यूजीलैंड, आस्ट्रेलिया, पाकिस्तान, कुवैत समेत कई अन्य देशों का भ्रमण कर चुकी हैं. साहित्य के लिए उन्हें आरके नारायण अवार्ड और वर्ष 2018 में लाइफटाइम अचीवमेंट बाय क्रासवर्ड बुक अवा‌र्ड्स भी मिल चुका है.

पुलेला गोपीचंद
पुलेला गोपीचंद ने छात्र-छात्राओं से अपने अनुभव साझा किया. पुलेला गोपीचंद एक ऐसा नाम हैं जो बैडमिंटन सीखने वाले युवाओं की पहली पसंद हैं. महज 13 वर्ष की उम्र से ही इस खेल से जुड़ने वाले पुलेला ने वर्ष 1996 से 2000 के बीच पांच राष्ट्रीय स्तर की चैंपियनशिप जीतकर अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया. वर्ष 2000 में अर्जुन अवार्ड मिला, 2005 में उन्हें पद्मश्री और द्रोणाचार्य पुरस्कार से भी सम्मानित किया जा चुका है.


अपने सपनों को फोलों करने से हमे सफलता मिलेगी. अगर हमे मौका मिलेगा तो देश के लिए एक ऐसा स्कूल खोला जाए जहां सभी को शिक्षा मिल सके.
-सोमेश्वर जैन,गोल्ड मेडलिस्ट छात्र

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