कानपुर: पीएम मोदी और सीएम योगी अपने कानपुर दौरे में हर कार्यक्रम में मां गंगा का जिक्र करते हैं. शहर के अफसरों ने पीएम और सीएम को गंगा नदी में किसी तरह के प्रदूषण न होने की बात बताई है. उनके मुताबित गंगा की अविरल और निर्मल धारा बह रही है. लेकिन इससे इतर हकीकत कुछ और है. गंगा समेत गंगा की सहायक नदी में 7 नालों का हजारों करोड़ लीटर दूषित पानी गिर रहा है. फिलहाल अब जल निगम इन नालों को टैप कराने के लिए कवायद शुरू कर दी है.
बता दें कि गंगा में सीधे तौर पर रोजाना 5 नालों से 45 एमएलडी (करीब 45 करोड़ लीटर) दूषित पानी गिर रहा है, जबकि गंगा की सहायक पांडु नदी में 2 नालों हल्वाखंदा और गंदा नाला का 30 एमएलडी दूषित पानी जा रहा है. देश-दुनिया में अपनी किरकिरी कराने के बाद अब जल निगम के अफसरों ने एनएमसीजी (NMCG - National Mission for Clean Ganga) को एक डीपीआर (DPR - Detailed Project Report) भेजी है, जिसमें 61.48 करोड़ रुपये खर्च करने के बाद सभी नालों को टैप किया जाएगा.
अफसरों का दावा है कि दो साल के भीतर यह काम पूरा हो जाएगा. लेकिन एक बड़ा सवाल है कि आखिर क्या तब तक गंगा नदी में नालों का दूषित पानी गिरता रहेगा? जल निगम के अफसरों का यह भी कहना है कि सभी नालों के पानी को शोधित करने के लिए नगर निगम की ओर से बायोरेमिडिएशन का काम किया जा रहा है.
इन सात नालों को टैप करने की तैयारी: गंगा नदी में शहर के रामेश्वर घाट नाला, रानीघाट, गोलाघाट, सत्तीचौरा और मैस्कर घाट नाला का पानी गिर रहा है. जबकि पांडु नदी में हल्वाखंंदा और गंदा नाला का पानी जा रहा है. अफसरों के सामने इस काम को समय से पूरा कर पाना, एक बड़ी चुनौती मानी जा रही है.