उत्तर प्रदेश

uttar pradesh

ETV Bharat / state

गंगा में रोजाना गिर रहा 45 MLD दूषित पानी, 62 करोड़ की लागत से टैप होंगे 5 नाले

कानपुर में गंगा और गंगा की सहायक नदियों में 7 नालों का हजारों करोड़ लीटर दूषित पानी रोजाना गिर रहा है. अब इन नालों को टैप करने काम किया जाएगा. इसके लिए जल निगम ने नमामि गंगे विभाग को डीपीआर भेज दी है. करीब 61.48 करोड़ रुपये खर्च कर जल्द ही यह काम शुरू किया जाएगा.

Etv Bharat
Etv Bharat

By

Published : Sep 21, 2022, 9:16 PM IST

कानपुर: पीएम मोदी और सीएम योगी अपने कानपुर दौरे में हर कार्यक्रम में मां गंगा का जिक्र करते हैं. शहर के अफसरों ने पीएम और सीएम को गंगा नदी में किसी तरह के प्रदूषण न होने की बात बताई है. उनके मुताबित गंगा की अविरल और निर्मल धारा बह रही है. लेकिन इससे इतर हकीकत कुछ और है. गंगा समेत गंगा की सहायक नदी में 7 नालों का हजारों करोड़ लीटर दूषित पानी गिर रहा है. फिलहाल अब जल निगम इन नालों को टैप कराने के लिए कवायद शुरू कर दी है.

बता दें कि गंगा में सीधे तौर पर रोजाना 5 नालों से 45 एमएलडी (करीब 45 करोड़ लीटर) दूषित पानी गिर रहा है, जबकि गंगा की सहायक पांडु नदी में 2 नालों हल्वाखंदा और गंदा नाला का 30 एमएलडी दूषित पानी जा रहा है. देश-दुनिया में अपनी किरकिरी कराने के बाद अब जल निगम के अफसरों ने एनएमसीजी (NMCG - National Mission for Clean Ganga) को एक डीपीआर (DPR - Detailed Project Report) भेजी है, जिसमें 61.48 करोड़ रुपये खर्च करने के बाद सभी नालों को टैप किया जाएगा.

अफसरों का दावा है कि दो साल के भीतर यह काम पूरा हो जाएगा. लेकिन एक बड़ा सवाल है कि आखिर क्या तब तक गंगा नदी में नालों का दूषित पानी गिरता रहेगा? जल निगम के अफसरों का यह भी कहना है कि सभी नालों के पानी को शोधित करने के लिए नगर निगम की ओर से बायोरेमिडिएशन का काम किया जा रहा है.

इन सात नालों को टैप करने की तैयारी: गंगा नदी में शहर के रामेश्वर घाट नाला, रानीघाट, गोलाघाट, सत्तीचौरा और मैस्कर घाट नाला का पानी गिर रहा है. जबकि पांडु नदी में हल्वाखंंदा और गंदा नाला का पानी जा रहा है. अफसरों के सामने इस काम को समय से पूरा कर पाना, एक बड़ी चुनौती मानी जा रही है.

पहले गंगा में जाता था 23 नालों का गंंदा पानी: भले ही केंद्रीय और राज्य मंत्री यह दावा करते हों, कि कानपुर में गंगाजल आचमन लायक है. लेकिन सच तो यह है कि ऐसा बिल्कुल नहीं है. एक दौर था जब गंगा नदी में 23 नालों का पानी गिरता था. हालांकि अब उनमें से 18 छोटे-बड़े नालों को टैप किया जा चुका है. इस कवायद के लिए एनजीटी के विशेषज्ञों ने कानपुर के जिम्मेदार अफसरों को समय-समय पर जमकर फटकार भी लगाई थी.

गंगा में गिरने वाले पांच नालों और सहायक नदी पांडु में गिरने वाले दो नालों को टैप करने के लिए एनएमसीजी (नेशनल मिशन फार क्लीन गंगा) को डीपीआर (डिटेल्ड प्रोजेक्ट रिपोर्ट / विस्तृत परियोजना रिपोर्ट) बनाकर भेजी गई है. कुल 61.48 करोड़ रुपये से यह काम होंगे.

यह भी पढ़ें-काशी में तेजी से बढ़ा गंगा का जलस्तर, 84 घाटों का संपर्क टूटा

ABOUT THE AUTHOR

...view details