उत्तर प्रदेश

uttar pradesh

ETV Bharat / state

20 हजार बेरोजगार श्रमिकों को अभी भी कानपुर की बंद मिले खुलने की आस

बरसों से बंद कानपुर की मिलों के फिर से धड़धड़ाने की आस अभी भी कायम है. इन मिलों के 20 हजार मजदूरों को उम्मीद है कि जब सरकार जागेगी तो मिलों के साथ-साथ उनके दिन भी बहुर जाएंगे.

Etv bharat
20 हजार बेरोजगार श्रमिकों को अभी भी कानपुर की बंद मिले खुलने की आस

By

Published : May 26, 2022, 7:20 PM IST

Updated : May 26, 2022, 7:56 PM IST

कानपुर: मौजूदा समय से करीब 30-40 साल पहले शहर की 11 मिलों से जो उत्पाद तैयार होते थे, उनकी विदेश में जबरदस्त मांग थी. कानपुर की पहचान औद्योगिक नगरी के रूप में थी. इसे श्रमिकों का शहर भी कहा जाता था. इन मिलों में जेके काटन मिल, बीआईसी, एनटीसी, लाल इमली, म्योर मिल, कानपुर टेक्सटाइल, एल्गिन मिल समेत कई अन्य मिलें शामिल थीं. अमेरिका समेत कई अन्य शहरों में तो आज भी लाल इमली की 80 नंबर लोई (गर्म कंबल) की मांग बहुत अधिक रहती है.


पिछले कुछ सालों में शहर के कई कारखाने बंद हो गए और 20 हजार से अधिक श्रमिक बेरोजगार हो गए. श्रमिकों को उम्मीद है कि सरकार छोटे उद्योगों की स्थापना को बढ़ावा देगी तो इन मिलों के दिन भी बहुर जाएंगे. इससे उनकी आर्थिक दुश्वारियां दूर हो जाएंगीं.

कभी कानपुर की बंद 11 मिलों के उत्पादों की मांग देशभर में थी.

वर्ष 1952 से श्रमिकों के अधिकारों की लड़ाई लड़ रहे भारतीय मजदूर संघ के पूर्व राष्ट्रीय मंत्री सुखदेव प्रसाद मिश्रा ने कहा कि सरकार को श्रमिकों के मामले में अपनी नीति व नीयत स्पष्ट करनी चाहिए. एक दौर था जब एनटीसी की मिलों में 70 हजार श्रमिक कार्यरत थे लेकिन आज मिलें बंद हो गईं हैं. उन्होंने कहा कि अफसरों ने आधुनिक तकनीकों वाली मशीनें तो खरीद लीं पर उनका उपयोग नहीं हो सका. सरकार के लोग कहते हैं कि मिलें चल जाएंगी पर अब मिलों की बाउंड्री बची है. इन मिलों में केवल लाल इमली को ही फिर से चलाया जा सकता है.

इस बारे में एमएसएमई मंत्री राकेश सचान का कहना है कि योगी सरकार के दूसरे कार्यकाल में मेरी कोशिश होगी कि अधिक से अधिक सूक्ष्म, लघु व मध्यम उद्योग इकाइयों की स्थापना हो जिससे श्रमिकों को रोजगार मिल सके. जहां तक मिलों के संचालन की बात है तो इस पर विभागीय अफसरों से चर्चा करने के बाद ही फैसला करेंगे. वहीं, कमिश्नर डॉ. राजेशखर का कहना है कि मिलों के संचालन का मामला केंद्र सरकार का है. सरकार को ही अपने स्तर से फैसला करना है कि इनका संचालन कब और कैसे होगा?

श्रमायुक्त कार्यालय में प्रभारी निदेशक का काम देख रहे आरके सिंह का कहना है कि यह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है कि कई श्रमिक कारखाने बंद हुए और श्रमिकों को रोजगार नहीं मिल सका. मिलों के संचालन पर उन्होंने कहा कि इसके लिए उद्यमियों, जनप्रतिनिधियों व सरकारी अफसरों को संयुक्त रूप से पहल करनी होगी.

ऐसी ही जरूरी और विश्वसनीय खबरों के लिए डाउनलोड करें ईटीवी भारत ऐप

Last Updated : May 26, 2022, 7:56 PM IST

ABOUT THE AUTHOR

...view details