कानपुर: 10 अक्टूबर को पूरे विश्व में मेंटल हेल्थ डे के रूप में मनाया जाता है. मानसिक स्वास्थ्य के बारे में लोगों में जागरूकता फैलाने के लिए इस दिन की शुरुआत की गई. बीते सालों की बात करें तो मानसिक विकार से जुड़े कई मामले सामने आए और ऐसे रोगियों में खासा इजाफा देखा गया है. वहीं कोरोना काल ने लोगों में मानसिक स्ट्रेस को दोगुना करने का काम किया है.
जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज में मनोरोग विभाग में डॉक्टर और इंडियन साइकियाट्रिक सोसाइटी (IPS) में असिस्टेंट जनरल सेक्रेटरी डॉ. गणेश शंकर ने ईटीवी भारत से खास बातचीत की. उनका कहना है कि कोरोना काल के बाद लोगों में मेंटल हेल्थ पर बहुत बुरा प्रभाव पड़ा है. इस वजह से लोगों में गुस्सा, आत्महत्या के विचार और लड़ाई झगड़े जैसे मामलों में बढ़ोतरी हुई है. वहीं 70 फीसदी लोग तो कोरोना के डर की वजह से तनाव झेल रहे हैं. यदि नियमित दिनचर्या और स्वास्थ्य जीवन शैली का पालन किया जाए तो इसको बहुत कम किया जा सकता है.
कोरोना की वजह से दोगुनी हुई तनाव की रफ्तार
डॉ. गणेश शंकर ने बताया कि कोरोना काल के बाद अभी हाल ही में सोसाइटी के 800 डॉक्टर्स ने एक शोध किया. शोध में यह पाया गया कि कोरोना काल में लोगों में मानसिक तनाव दोगुना हुआ है. डॉ. गणेश शंकर के मुताबिक, नियमित दिनचर्या वाले लोगों में पाया गया कि तनाव बहुत कम है. इसी के साथ स्वास्थ्य और व्यवस्थित जीवन शैली आपको और आपकी मेंटल हेल्थ हो सही रख सकती है. पूरे दिन में कुछ समय योग को दें, ताकि तनाव कम हो सके. इसके अलावा अपने विचार को लोगों से बोलने और कहने की आदत डालें, ताकि तनाव पैदा ही न हो.
हर मानसिक बीमारी नहीं होती है पागलपन
डॉ. गणेश शंकर ने बताया कि भारत में इस समय भी मानसिक रोगों को लेकर जागरूकता नहीं है. हर मानसिक बीमारी को पागलपन समझा जाता है, जो बेहद दुखःद की बात है. मानसिक रोगों से जुड़ी करीब 400 बीमरियां है, जिसमें मानसिक विक्षिप्त या पागलपन एक बीमारी मात्र है. इस समय टीनएज में कनवर्जेंस रिएक्शन बीमारी बढ़ रही है, इससे बच्चे हल्की सी तेज आवाज में बेहोश हो जाते हैं. वहीं कई बच्चे अपनी मानसिक परेशानी घर में शब्दों में नहीं बोल पाते हैं, इसीलिए माता-पिता को अपने बच्चे में नेचर चेंज आए तो उनसे बात करनी चाहिए. इससे वे मानसिक रूप से किसी बीमारी से ग्रसित होने से बच सकेंगे.