कानपुर देहात: राष्ट्रपति रामनाथ कोविन्द का गृह जनपद कानपुर देहात है. यह जनपद राष्ट्रपति को जोड़कर देखा जाता है. ऐसे में जब उनके ही जनपद की एक बूढ़ी मां कई सालों से आवास के लिए लड़ रही हो तो सोचिए अन्य राज्यों का हाल क्या होगा. हम बात कर रहे हैं ऐसी महिला की, जिसके बच्चों के सिर पर इसलिए आज तक सेहरा नहीं बंधा क्योंकि उसका खुद का पक्का मकान नहीं है. महिला अधिकारियों की चौखट के चक्कर काट-काटकर थक चुकी है.
कागजों में सिमटकर रह जाती हैं योजनाएं
कागजों में नई दिल्ली से तो सभी राज्यों तक योजनाएं बहुत सी चलती हैं, लेकिन धरातल तक आते-आते कागजों में ही सिमटकर रह जाती हैं. मजबूर लाचार लोगों के कुछ हाथ लगता है तो सिर्फ सरकार के हवाहवाई दावे.
20 साल से आवास के लिए भटक रही महिला
मैथा ब्लॉक क्षेत्र के रैपालपुर गांव सभा की रहने वाली विधवा मालती बाजपेई गिरी हुई कच्ची कोठरी में तिरिपाल डाल कर 20 साल से अधिक समय से अपना जीवन गुजार रही है. तेज धूप और बारिश होने पर उन्हें काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है, लेकिन सरकारी नुमाइंदों को उनकी परेशानी नहीं दिख रही है. करीब दो साल पहले तेज बारिश के चलते जो उसकी खण्डहर कच्ची कोठरी थी, गिरकर ढह गई थी.
सिस्टम की लाचारी से नहीं मिल सका आवास
प्रदेश सरकार ने बारिश में मकान गिरने से लोगों को बेघर मानकर प्राथमिकता के आधार पर आवास देने का फरमान जारी किया था. इस पर एसडीएम मैथा ने जांच कर मालती को आवास दिए जाने का पत्र डीएम राकेश कुमार सिंह को भेजा था, जिस पर डीएम ने डीडीओ को मामले पर कार्रवाई करने के लिए निर्देशित किया था. एक साल बीतने पर भी आवास न मिलने पर एसडीएम ने दोबारा पत्र भेजा है, लेकिन दो साल बीतने पर भी आज तक सरकारी सिस्टम गरीब मालती को एक आवास उपलब्ध नहीं करा सका है.