कानपुर देहात: इंसान अगर चाह ले तो पत्थर को भी पिघलाकर मोम बना सकता है. जनपद के कपराहट कहिंजरी के दिव्यांग शिक्षक शैलेन्द्र सिंह की आंखों में रोशनी नहीं है. लेकिन फिर भी वे अपनी शिक्षा से सैकड़ों बच्चों की जिंदगी को रोशन कर रहे हैं. आंखों से दिव्यांगता के बाद भी कुशल शिक्षण कार्य के लिए शैलेन्द्र सिंह को आज पूरे जिले में जाना जा रहा है. लेकिन शिक्षक शैलेन्द्र सिंह आज सभी शिक्षकों के लिए बड़ी मिसाल बने हुए हैं. समाज में ऐसे जज्बा और जुनून वाले शिक्षक बहुत कम देखने को मिलते हैं.
शिक्षकों के लिए बन रहे प्रेरणा
- जनपद के रसूलाबाद क्षेत्र के कपराहट के जिले में स्थित प्राथमिक विद्यालय में शैलेंद्र सिंह भदौरिया पढ़ाते हैं.
- आंखों से दिव्यांग शैलेंद्र सिंह कपराहट गांव के ही रहने वाले हैं.
- विशिष्ट बीटीसी करने के बाद उन्होंने प्राथमिक विद्यालय कपराहट में ही प्रशिक्षण लिया.
- 2009 में उन्होंने शिक्षक की नौकरी पाई.
- वह सहायक अध्यापक के पर कई वर्षों तक तैनात रहे और अब प्राथमिक विद्यालय के प्रधानाध्यापक हैं.
- बच्चे बोर्ड पर लिखते हैं तो शैलेन्द्र सिंह इशारों में और उंगली से जोड़कर उन्हें अच्छे से सिखा देते हैं.