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कानपुर देहात: शीतला मां के आशीर्वाद से भर जाती है सूनी गोद - कानपुर देहात समाचार

उत्तर प्रदेश के कानपुर देहात में शीतला मां का एक अनोखा मंदिर है. इस मंदिर में तीन जिंदा लोगों ने समाधियां ली थीं. इसके साथ ही यह मंदिर बहुत सी मान्यताओं के लिए विख्यात है. यह मंदिर जनपद के विजयपुर गांव में स्थित है.

तीन जिंदा लोगों की समाधि वाला शीतला मंदिर.

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Published : Jun 18, 2019, 5:56 PM IST

कानपुर देहात:आम के पेड़ पर लदी घंटियां, आस्था में लीन तीन जिंदा लोगों की समाधियां और मान्यताओं से परिपूर्ण शीतला मां का यह मंदिर पूरे देश में सूनी गोद को भरने के लिए विख्यात है.

कानपुर देहात में शीतला मां का मंदिर.

लाखों लोगों की मन्नतों को पूरा करने वाली शीतला मां का यह मंदिर बाणासुर किले से लगभग 500 मीटर की दूरी पर है. यह जगह विजयपुर गांव में स्थित है. आम के पेड़ों पर लटकी अनगिनत घंटियां जब हवा के झोकों से बजती हैं तो आस-पास बसे गांव के लोग इनकी आवाज को सुन एक पल के लिए शीतला मां की याद में लीन हो जाते हैं. कहा जाता है कि गांव में जब सूर्य का उदय होता है तो उसकी किरणें सबसे पहले शीतला मां के चरणों में पड़ती हैं. इतनी सारी मान्यताओं से चर्चित यह मंदिर भक्तों को अपनी तरफ आकर्षित करने पर मजबूर कर देता है.

स्वामी जी ने कहा था कि जब मैं लीन हो जाऊं तो मुझे मंदिर से बाहर मत करना मैं जीते-जी समाधि लूंगा. मैं सबको दर्शन दूंगा, सबकी झोलियां भर जाएंगीं. जलकुंड के पानी का जो इस्तेमाल करेगा उसका भला हो जाएगा. कुंड के पानी में कभी कीड़े नहीं पडे़ंगे. मंदिर में स्थित तालाब कभी नहीं सूखेगा. दूर-दराज से लोग यहां दर्शन करने आते हैं. मंदिर में हजारों घंटियां हैं. सबकी इच्छाएं स्वामी जी महाराज पूरी करते हैं. दूसरे जो संत हैं, उन्होंने भी 47 साल की उम्र में समाधि ली थी.

-बाल ब्रम्हचारी ओमकार जी महाराज, मन्दिर के महंत

मंदिर में दर्शन के लिए पूरे देश के लोग आते हैं. सुबह जब सूर्य निकलता है तो उसकी किरणें सबसे पहले शीतला मां के चरणों में पड़ती हैं.

-नीरज कुमार, पुजारी, शीतला धाम

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