कानपुर देहातःबहचर्चित बिकरु कांड से जुड़े सभी आरोपियों की सुनवाई अब एक साथ 16 फरवरी को होगी. इसके अलावा बिकरु कांड में इस्तेमाल की गई जेसीबी को छोड़ने की याचिका पर विशेष न्यायाधीश रामकिशोर की अदालत ने 10 फरवरी को सुनवाई की तारीख निश्चित की है. बिकरु काण्ड में अलग-अलग जेलों में बंद आरोपियों की अलग-अलग तारीख पर पेशी होने से आरोप तय नही हो सके हैं. जिसके चलते अब एंटी डकैती कोर्ट ने सभी आरोपियों की सुनवाई की अगली तिथि 16 फरवरी तय की है. वहीं, तथ्य छिपाकर शस्त्र लाइसेंस लेने के मामले में बिकरु कांड के आरोपी दीपक की पत्नी अंजलि की अग्रिम जमानत एंटी डकैती कोर्ट ने खारिज कर दी है.
बिकरु कांड के सभी आरोपियों की कोर्ट में एक साथ होगी सुनवाई - बिकरु कांड के आरोपियों की एक साथ होगी सुनवाई
बहुचर्चित बिकरु कांड से जुड़े सभी आरोपियों की सुनवाई अब एक साथ 16 फरवरी को कानपुर देहात की एंटी डकैती कोर्ट में होगी. इसके अलावा वारादत में प्रयोग की गई जेसीबी के छोड़ने के मामले की सुनवाई 10 फरवरी को होगी.
जेसीबी मामले में सुनवाई 10 को
बता दें कि जेसीबी के मालिक ने कानपुर देहात के विशेष न्यायाधीश रामकिशोर की अदालत में प्रार्थनापत्र दिया था. अदालत इस मामले में 10 फरवरी को तय करेगी कि जेसीबी को छोड़ा जाए या नही. सहायक शासकीय अधिवक्ता प्रदीप पांडेय ने बताया कि जेसीबी मालिक के अधिवक्ता ने तर्क दिया है कि गांव की सड़क बनाने के लिए भीठी गांव के ग्राम प्रधान विष्णुपाल सिंह उर्फ जिलेदार सिंह ने जेसीबी को किराये पर लिया था. बिकरु कांड के बाद से जेसीबी को चौबेपुर थाने में खड़ा कराया गया है, जिसकी वजह से कमाई नहीं हो रही है. कमाई नहीं होने से फाइनेंस की किश्त भी अदा नही हो पा रही है.
विकास दुबे ने रास्ते में खड़ी कराई थी जेसीबी
बताते चलें कि कुख्यात अपराधी विकास दुबे ने जेसीबी रास्ते में खड़ी करके ही दबिश देने गई पुलिस को अपने घर तक आने से रोका था. इसके बाद हमलावरों ने पुलिस पर जमकर गोलियां बरसा दी थी. जिसके चलते सीओ समेत आठ पुलिसकर्मियों की जान गई थी. सहायक शासकीय अधिवक्ता प्रदीप पांडेय ने बताया कि दीपक दुबे विकास दुबे का सगा भाई है. दीपक की पत्नी अंजलि को गलत सूचना देकर शस्त्र लाइसेंस लेने का आरोपी बनाया गया है. उसका शस्त्र लाइसेंस वर्ष 2008 में जारी किया गया था. पति के विरुद्ध दर्ज मुकदमे के आधार पर लाइसेंस 2017 में निरस्त किया गया था. जिसे आयुक्त कानपुर मंडल न्यायालय ने बहाल किया था. इस मामले