कन्नौज: यूपी में विधानसभा चुनाव का बिगुल बज चुका है. चुनाव को शांतिपूर्वक संपन्न कराने के लिए पुलिस प्रशासन ने तैयारियां शुरू कर दी है. लेकिन कन्नौज की तालग्राम पुलिस को चुनाव में मृतकों और बुजुर्गों से दिक्कतें पेश आने की उम्मीद है. यही कारण है कि यहां पुलिस ने मृतक और बुजुर्गों को शांतिभंग के आदेश में पाबंद कर दिया है. लेकिन खास बात यह है कि शांतिभंग में पाबंद किए गए कई बुजुर्ग तो अपने पैतृक गांव में भी कभी कभार ही आते है. जबकि एक की अप्रैल माह में कोरोना से मौत हो चुकी है. मामला उजागर होने पर जिम्मेदार लापरवाही बरतने वाले पुलिसकर्मियों पर कार्रवाई करने की बात कह रहे हैं.
क्या है पूरा मामला
विधानसभा चुनाव में किसी तरह की गड़बड़ी न हो इसके लिए चुनाव में गड़बड़ी करने वालों को पुलिस चिन्हित कर शांतिभंग में पाबंद कर रही है. इसी कड़ी में कन्नौज की तालग्राम पुलिस ने अब तक करीब 4 हजार 25 लोगों को शांतिभंग में पाबंद किया है. पुलिस ने यहां के ताहपुर गांव में भी करीब 70 लोगों को पाबंद किया है. लेकिन पुलिसकर्मियों की लापरवाही के चलते मृतक और बुजुर्गों को शांतिभंग में पाबंद कर नोटिस भेज दिया गया है.
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पुलिस ने ताहपुर गांव निवासी प्रमोद व उसके भाई सर्वेस को चुनाव में गड़बड़ी फैलाने की आशंका के चलते शांतिभंग में पाबंद कर नोटिस भेज दिया. जब नोटिस परिजनों को मिला तो वो अचंभित रह गए. क्योंकि प्रमोद की कोरोना संक्रमण के चलते अप्रैल 2021 में मौत हो गई थी. इसी प्रकार गांव के ही रहने वाले धीरेंद्र कुमार महोबा जिले में रेलवे विभाग में टेक्नीशियन है और नरेश चंद्र मुजफ्फरनगर में सहकारी बैंक में लिपिक के पद पर कार्यरत हैं. पुलिस ने इन्हें भी शांतिभंग में पाबंद करते हुए नोटिस भेज दिया है.
बताया जा रहा है कि ये लोग कभी कभार ही अपने पैतृक गांव आते हैं. इतना ही नहीं पुलिस ने डाक विभाग से पोस्ट मास्टर के पद से रिटायर हुए सुभाष चंद्र पर भी शांतिभंग की कार्रवाई करते हुए नोटिस भेज दी है. शांतिभंग में पाबंद होने के बाद बुजुर्ग जमानत कराने के लिए एसडीएम न्यायालय के चक्कर लगाने को मजबूर हैं. पुलिस के कारनामा सामने आने पर जमकर किरकिरी हो रही है. वहीं, जिम्मेदार मामले से पल्ला झाड़ते नजर आ रहे हैं और जांच कराकर लापरवाही बरतने वालों पर कार्रवाई करने की बात कह रहे हैं.
ग्राम प्रधानों व अन्य सूत्रों से नाम पता कर सूची तैयार करती है पुलिस
बता दें कि चुनाव के समय पुलिस कर्मियों को चुनाव में गड़बड़ी फैलाने वालों को चिन्हित कर शांतिभंग में कार्रवाई करने की जिम्मेदारी दी जाती है. पुलिसकर्मी जांच पड़ताल करने की बजाए ग्राम प्रधान या अन्य सूत्रों से लोगों के नाम मंगवा लेते हैं. जिस पर कई बार खुन्नस के चलते ऐसे लोगों के नाम भी भेज दिए जाते हैं. जिनकी मौत हो चुकी है या फिर जिन पर कभी कोई पुलिस केस तक नहीं दर्ज हुआ होता है. पुलिस बिना जांच पड़ताल के ही लोगों को शांतिभंग में पाबंद कर देती है. नोटिस पहुंचने पर पुलिस की लापरवाही उजागर होती है.
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