कन्नौजः यूपी बोर्ड की हाईस्कूल और इंटरमीडिएट की परीक्षा के लिए जिले में कुल 79 केंद्र बनाए गए हैं. बोर्ड के द्वारा हाई स्कूल और इंटरमीडिएट के लिए करीब साढ़े तीन लाख उत्तर पुस्तिकाएं उपलब्ध करा दी गई हैं. जिले में इस बार हाई स्कूल के करीब 26 हजार और इंटरमीडिएट के 22 हजार छात्र परीक्षा देंगे. जिले में 14 केंद्र संवेदनशील और 10 केंद्र अतिसंवेदनशील श्रेणी की सूची में दर्ज हैं.
कन्नौज जिला प्रशासन ने बोर्ज परीक्षा को नकल विहीन कराए जाने का निर्णय लेते हुए सभी केंद्रों सख्त निर्देश दिए हैं. सभी मानक पूर्ण करने वाले कालेजों को ही परीक्षा केंद्र बनाया गया है. बोर्ड परीक्षा के दौरान परीक्षा केंद्र के अंदर चल रही गतिविधियों पर नजर रखने के लिए जिले में सभी 79 केंद्रों पर इस बार सीसीटीवी कैमरा के अलावा राउटर भी लगाए गए हैं. सभी केंद्रों पर करीब 1200 शिक्षकों की ड्यूटी कक्ष निरीक्षक के रूप में लगाई गई है.
कुल 48,875 परीक्षार्थी होंगे शामिल
इस बार हाईस्कूल में 26,841 और इंटरमीडिएट में 22,034 परीक्षार्थी परीक्षा देंगे. हालांकि पिछले वर्ष की तुलना में इस बार केंद्र कम बनाए गए हैं, क्योंकि परीक्षार्थियों की संख्या इस बार कम है. पिछले वर्ष 2019 में जिले में 83 परीक्षा केंद्र बनाए गए थे, जिसमें 51,911 परीक्षार्थी शामिल हुए थे. इस बार परीक्षा में पिछले साल की तुलना में 3,036 परीक्षार्थी कम हैं, जबकि इस बार 4 परीक्षा केंद्र भी कम बनाए गए है. सभी परीक्षा केंद्रों पर सुरक्षा को लेकर पुलिस और पीएसी समेत मजिस्ट्रेट्स की ड्यूटी लगा दी गई है.
कम बजट में नकल रोकने के लिए कैसे दौड़ेंगी गाड़ियां?
हाईस्कूल और इंटरमीडिएट की परीक्षा के लिए यूपी बोर्ड से 56,500 रुपये का बजट आवंटित किया गया है, पांच उड़नदस्ता टीमों की गाड़ियों के लिए 37,500 का बजट है. इस बजट में 19 हजार रुपए जोनल और सेक्टर मजिस्ट्रेट्स को डीजल-पेट्रोल भरवाने के लिए दिया जाएगा. इस तरह से परीक्षा संबंधी कार्यों को लेकर इन सब के बीच उन्हें गाड़ी दौड़ाने के लिए जो बजट शासन ने जारी किया है वह बहुत कम है. मजिस्ट्रेट की इन 21 टीमों को अपनी गाड़ी दौड़ाने के लिए मात्र 19 हजार रुपये का बजट दिया गया है.
64 रुपये में कैसे जांच करेंगे मजिस्ट्रेट
इतने बजट से ये लोग 14 दिन तक परीक्षा केंद्रों की निगरानी करेंगे, यानी प्रत्येक टीम को 14 दिन के डीजल-पेट्रोल के लिए लगभग 904 रुपये दिए गए हैं. एक दिन की बात करें तो यह रकम करीब 64 रुपए बैठती है. ऐसे में निरीक्षण के समस्या यह है कि 64 रुपये अधिकारी कितना दौरा करेंगे. इसी तरह पिछले वर्ष 2019 में केंद्र के अनुसार बजट कम दी गई थी.
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