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व्यापारी हत्या मामले में दो भाइयों को आजीवन कारावास की सजा

साल 2014 में फिरौती लेने के बाद भी मवेशी व्यापारी की हत्या के मामले में दो भाइयों को कोर्ट ने आजीवन कारावास की सजा सुनाई है.

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Published : Apr 28, 2022, 9:11 PM IST

आजीवन कारावास की सजा
आजीवन कारावास की सजा

कन्नौज : मवेशी व्यापारी का अपहरण कर फिरौती लेने के बाद हत्या के मामले में कोर्ट ने दो ममेरे भाइयों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है. साथ ही कोर्ट ने 25 हजार का जुर्माना लगाया है. जुर्माना अदा न करने पर डेढ़ साल अतिरिक्त कारावास की सजा सुनाई है.

दोनों आरोपी मृतक के साथ मिलकर मवेशी खरीद-फरोख्त का व्यापार करते थे. सुनवाई के दौरान नौ गवाह पेश किए गए. मुकदमे की पैरवी सरकार की ओर से जिला शासकीय अधिवक्ता संत कुमार दुबे ने की. इस मामले में कोर्ट ने एक ही केस में दो बार आजीवन कारावास की सजा सुनाई है. धारा 364 व 302 में अलग-अलग आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई है.

क्या है पूरा मामला :जिला शासकीय अधिवक्ता संतराम दुबे ने बताया कि सदर कोतवाली क्षेत्र के कुसुमखोर गांव निवासी नजीबुल मवेशी खरीदने व बेचने का काम करता था. साथ ही फर्रुखाबाद जनपद के कमालगंज थाना क्षेत्र के उमराय नगला गांव निवासी विमलेश भी अपने ममेरे भाई जगराम के साथ मवेशी की खरीद-फरोख्त का काम करता था. नजीबुल जनवरी 2014 को जानवरों की खरीदने की बात कहकर घर से निकला था.

जब देर शाम तक वह वापस नहीं लौटा तो उसके भाई नफीबुल ने फोन पर संपर्क किया. फोन बंद होने की वजह से संपर्क नहीं हो सका. इसके बाद नजीबुल के भाई नफीबुल ने सदर कोतवाली में गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज कराई. 28 जनवरी 14 को विमलेश व जगराम ने फोनकर नजीबुल को छोड़ने के एवज में उसके भाई से दस लाख की फिरौती मांगी.

साथ ही नजीबुल से भी भाई की बात कराई. कहलवाया कि रुपये न देने पर यह लोग उसको मार देंगे. दो जून 14 को उसके भाई ने दोनों अपहरणकर्ताओं को तीन लाख रुपये दे दिए. अभियुक्तों ने नजीबुल को फिर भी नहीं छोड़ा. जब पुलिस ने विमलेश और जगराम को जसोदा रेलवे स्टेशन पर पकड़ा और सख्ती से पूछताछ की तो उन्होंने बताया कि नजीबुल की हत्या कर कमालगंज के सवासी की कटरी में गाड़ दिया है. आरोपियों की निशानदेही पर पुलिस ने मृतक नजीबुल का शव बरामद किया. पुलिस ने मामला हत्या में बदलकर विवेचना कर आरोपपत्र कोर्ट में दाखिल किया.

सुनवाई के दौरान अभियोजन की ओर से नौ गवाह पेश किए गए. गुरूवार को आरोप सिद्ध होने पर फास्ट ट्रैक द्वितीय कोर्ट के न्यायाधीश शिवकुमार तिवारी ने दोनों आरोपियों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है. साथ ही 25 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया है. जुर्माना अदा न करने पर डेढ़ साल अतिरिक्त कारावास की सजा सुनाई है.

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एक ही केस में दो बार सुनाई गई आजीवन कारावास की सजा :जिला शासकीय अधिवक्ता संत कुमार दुबे ने बताया कि इस मामले में कोर्ट ने आरोपियों को दो बार आजीवन कारावास की सजा सुनाई. धारा 364 और 302 में अलग-अलग आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई है. बताया कि सभी सजाएं एक साथ चलेंगी. मुकदमे के गवाह पप्पू और सदर-उल-हसन ने आरोपियों को नजीबुल के साथ आखिरी समय में जाते हुए देखा था.
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