कन्नौज :अन्ना पशु बड़ी समस्या बन चुके हैं. पिछले कई सालों से मवेशी भगवान की तरह पूजे जाते रहे हैं. पशुओं को धन मानने वाले किसानों की नींद उड़ी हुई है. वह दहशत में जी रहे हैं. नींद इसलिए नहीं उड़ी कि उन पर कोई आतंकवादी हमला, चोरी या कोई प्राकृतिक आपदा आने वाली है. उनकी नींद उड़ाने वाले हैं आवारा घूमने वाले पशु, जो झुण्ड बनाकर आते हैं और पलक झपकते ही किसी टिड्डी दल की तरह पूरी फसल चट कर जाते हैं. किसान बहुत परेशान हैं. वह अपनी फसल की रखवाली के लिए रात-दिन खेतों पर रहते हैं.
सवाल भूख का है
एक तरफ भले ही सरकार अन्ना पशुओं के लिए बेहतर गोशालाएं बनाने का दावा कर रही हो, लेकिन गोशालाओं की क्या स्थिति है. यह किसी से छुपी हुई नहीं है. भूखे अन्ना पशु हरी फसलों की ओर दौड़ते हैं. उनके लिए यह हरी फसल हरा चारा है. मगर किसानों के लिए भी यह सवाल जीवन का है. अगर फसलें मवेशी खा गए तो बंजर धरती का सीना चीरकर मेहनत के फूल उगाने वाले उन किसानों का पेट कौन भरेगा.
प्राइमरी स्कूलों में बन्द किए मवेशी
आवारा मवेशियों से तंग आकर जनपद के ग्राम पंचायत रौंसा में ग्रामीणों ने मवेशियों को खदेड़कर गांव के प्राइमरी स्कूल में बंद कर दिया और बाहर से ताला जड़ दिया. यह पहला मौका नहीं है ग्रामीण पहले भी इस समस्या को लेकर कई बार ऐसा कर चुके हैं. ऐसा ही कुछ हाल सौरिख क्षेत्र के बहादुरपुर गांव का है, जहां लोग आवारा पशुओं से हो रहे नुकसान की वजह से दहशत में जी रहे हैं.