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पुलिस से नेता बने असीम अरुण से जुड़ा जिन्न आया बाहर, विपक्ष बोला- क्या सच में थे अच्छे अधिकारी ? - असीम अरुण को लेकर सपा भाजपा में जुबानी जंग

UP Assembly Election 2022 : कानपुर के पुलिस कमिश्नर रहे असीम अरुण रविवार को भाजपा में शामिल हो गए. यूपी भाजपा के अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह ने केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर की मौजूदगी में उन्हें पार्टी की सदस्यता दिलाई.

पूर्व पुलिस कमिश्नर असीम अरुण
पूर्व पुलिस कमिश्नर असीम अरुण

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Published : Jan 17, 2022, 8:40 PM IST

लखनऊ :UP Assembly Election 2022 :कानपुर के पुलिस कमिश्नर रहे असीम अरुण पूर्ण रूप से अब भगवादल के सिपाही हो चुके हैं. 16 जनवरी को उन्होंने भाजपा की सदस्यता ग्रहण की है. ऐसे में जब असीम पुलिसगिरी से नेतागिरी शुरू करने जा रहे हैं, तब विपक्ष उन पर तमाम आरोप लगाने में जुट गए हैं. यही नहीं, इन आरोपों के बीच असीम से जुड़ा एक पुराना मामला भी उफान पर है.


असीम अरुण के भाजपा जॉइन करने के बाद केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने कहा- हम दंगा रोकने वालों को पार्टी में लाते है और सपा दंगे करने वालों को. वहीं, सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने भी पलटवार करते हुए कहा कि असीम अरुण 5 साल तक वर्दी पहन कर भाजपा कार्यकर्ता के तहत कार्य कर रह थे. इसी बीच सपा नेता अनुराग भदौरिया ने कहा कि असीम अरुण ईमानदार होते तो राजेश साहनी आत्महत्या न करते. इसी बयान के बाद यूपी एटीएस के एडिशनल एसपी रहे राजेश साहनी आत्महत्या मामले का जिन्न एक बार फिर बाहर आ गया है. सपा नेताओं का आरोप है कि असीम अरुण पर भाजपा का आशीर्वाद सालों से है सदस्यता लेकर सिर्फ एक औपचारिकता निभाई गयी है.


दरअसल, 29 मई 2018 को 1992 बैच के तेजतर्रार पीपीएस अधिकारी और तत्तकालीन यूपी एटीएस के एएसपी राजेश साहनी ने अपने आफिस में सर्विस रिवाल्वर से खुद को गोली मार आत्महत्या कर ली थी. जाबांज अधिकारी की आत्महत्या के बाद दबी जुबान में तत्कालीन आईजी एटीएस असीम अरुण पर सवाल उठे थे. बताया गया था कि राजेश साहनी खुद को गोली मारने से पहले असीम अरुण के कमरे में गए थे और वहां दोनों में कहासुनी हुई थी, जिसके बाद ही उन्होंने आत्महत्या की थी.

एडीजी की जांच में पाया गया- यूपी एटीएस मुख्यालय में कुछ ठीक नहीं था
राजेश साहनी की आत्महत्या के मामले की शुरुआती जांच कर रहे एडीजी जोन राजीव कृष्णा ने अपनी जांच रिपोर्ट में एटीएस दफ्तर और वहां तैनात सीनियर अफसरों के काम करने के तरीके पर कई गंभीर सवाल उठाए थे. राजीव कृष्ण ने रिपोर्ट में बताया था कि जांच के दौरान एटीएस के जिन अफसरों और कर्मचारियों से बात की गई, उनमें से कई लोगों ने एटीएस मुख्यालय की कार्यप्रणाली पर बड़े सवाल उठाए थे. इसी को देखते हुए उन्होंने अपनी रिपोर्ट में एटीएस मुख्यालय में काम करने के तरीकों में सुधार करने की जरूरत बताई थी.
जांच रिपोर्ट की कॉपी.
सीबीआई जांच न हो इसके लिए हुई थी कोशिश
तत्कालीन सीबीआई निदेशक आलोक वर्मा को पद से हटाने के बाद कैबिनेट सचिव के निर्देश पर केन्द्रीय सतर्कता आयोग ने एक विस्तृत जांच की थी. केन्द्रीय सतर्कता आयुक्त केवी चौधरी, सतर्कता आयुक्त शरद कुमार और टीएम भसीन ने अपनी 6 पेज की जांच रिपोर्ट में खुलासा किया था कि है आलोक वर्मा ने राजेश साहनी केस की सीबीआई जांच नहीं होने दी और ऐसा करके उन्होंने यूपी पुलिस के बड़े अफसरों को बचाने का काम किया था.
यूपी एटीएस के इंस्पेक्टर ने भी उठाए थे असीम अरुण पर सवाल
एएसपी यूपी एटीएस राजेश साहनी की आत्महत्या के बाद एटीएस में ही तैनात यतीन्द्र साहनी ने तत्कालीन आईजी एसटीएफ असीम अरुण पर गंभीर आरोप लगाते हुए अपनी सेवा से इस्तीफा दे दिया था. यतींद्र शर्मा ने अपने इस्तीफे में लिखा था कि असीम अरुण और उनके कुछ सहयोगी अधिकारी मानसिक तनाव देते थे, जिससे राजेश साहनी ने आत्महत्या कर की थी. यही नहीं, इंस्पेक्टर ने असीम अरुण पर भृष्टाचार के गंभीर आरोप लगाते हुए कहा था कि भृष्टाचार में लिप्त अधिकारी गालियां देकर प्रताड़ित करते थे और जांच में फंसाने की धमकी देते थे. जिसके कारण राजेश साहनी ने आत्महत्या कर ली.

स्क्रीनशॉट.


क्या कहती है सपा-भाजपा

असीम अरुण की जॉइनिंग के बाद सपा भाजपा में जुबानी जंग जोरों पर है. समाजवादी पार्टी प्रवक्ता अनुराग भदौरिया ने कहा है कि असीम अरुण पिछले 5 सालों ने वर्दी पहन संवैधानिक पद पर बैठकर भारतीय जनता पार्टी के लिए काम कर रहे थे. आज जिन असीम अरुण को भाजपा ईमानदार बता रही है, उसी असीम अरुण पर एटीएस के अधिकारियों के ये आरोप लगाए थे कि उनकी प्रताड़ना से ही राजेश साहनी जी ने आत्महत्या कर की थी. यही नहीं, असीम पर आरोप लगने के बाद भी सीबीआई जांच सिफारिश होने के बाद भी नहीं हो पाई थी. मतलब साफ था कि असीम अरुण पर भाजपा की 'असीम' कृपा थी.

वहीं भाजपा प्रवक्ता समीर सिंह ने कहा कि क्योंकि असीम अरुण दंगा रोकने वाले हैं. इसलिए इन दंगाइयों को अब दर्द होने लगा है. सपा को जलन और दर्द इस बात की भी है कि असीम अरुण कन्नौज के रहने वाले हैं और भाजपा जॉइन कर लिए हैं.

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