कन्नौज: प्राचीन काल में कन्नौज को कान्यकुब्ज के नाम से भी जाना जाता था. इत्र की इस पावन नगरी में कन्नौज के सिद्ध पीठ बाबा गौरी शंकर का मंदिर है, जिसको पौराणिक भाषा में गौरी पीठ कहा जाता है. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार जहां-जहां माता सती के अंग गिरे थे, वहां शक्तिपीठों की स्थापना हुई थी. उसी क्रम में कान्यकब्ज यानी कन्नौज में भी मां गौरी का अंग गिरने से इस मंदिर की स्थापना हुई.
गैरी पीठ मंदिर का महत्व
सिद्ध पीठ बाबा गौरी शंकर मंदिर 51 शक्ति पीठ में से एक है. मंदिर में गौरी और शंकर अर्धनारीश्वर के रूप में स्थापित है. अर्धनारीश्वर यानी शिव का आधा अंग शिव के रूप में है और दूसरा रूप पार्वती के स्वरूप में है. इसका उल्लेख रामचरितमानस में भी किया गया है. मंदिर की ऐसी मानता है कि यहां जो भी भक्त मन्नत मांगता है, उसकी मन्नत पूरी होती है.
सिद्ध पीठ बाबा गौरी शंकर मंदिर के दर्शन को उमड़ा श्रद्धालुओं का सैलाब सावन में शिव की भक्ति करने श्रद्धालु पहुंचे गौरी पीठ
गौरी शंकर मंदिर में दर्शन करने लोग दूर-दूर से आते हैं. सावन के दूसरे सोमवार को इत्र नगरी कन्नौज के गौरी पीठ मंदिर में देर शाम तक भक्तों की लंबी कतार लगी रही. मंदिर परिसर में कलाकारों ने बाबा गौरी शंकर मंदिर को झालरों से सजाया और फूलों की लड़ियों से मंदिर को भव्य और आकर्षक स्वरूप प्रदान किया. मंदिर की सजावट में अलग-अलग प्रजातियों के फूल मंगवाए गए थे. इस भव्य सजावट श्रृंगार के साथ बाबा गौरी शंकर मंदिर आकर्षक का केंद्र बना रहा.
भक्तों ने की शिव-शंभू की अराधना, पुलिस प्रशासन भी रहा चौकन्ना
सुबह होते ही मंदिर में हर-हर महादेव और भोलेनाथ के जयकारों की गूंज सुनाई देने लगी. भक्तों ने शिवलिंग का जलाभिषेक कर पूजा-अर्चना की. सावन के दूसरे सोमवार में भी भक्तों की ऐसी भीड़ देख पुलिस श्रद्धालिओं की सुरक्षा को लेकर काफी सख्त नजर आई. सिद्धपीठ मंदिरो के अलावा कई अन्य शिव मंदिरों की सुरक्षा व्यवस्था के लिए भी पुलिसकर्मी तैनात रहे.