कन्नौज: महिलाएं परिवार बनाती है, परिवार घर बनाता है, घर समाज बनाता है और समाज ही देश बनाता है. इसका सीधा सीधा अर्थ यही है की महिला का योगदान हर जगह है. महिला की क्षमता को नज़रअंदाज करके समाज की कल्पना करना व्यर्थ है. इसका सीधा उदाहरण समाज में रहने वालीं सुनीता चौहान जैसी महिलाएं हैं. उन्होंने अपने साथ दूसरी महिलाओं की जिंदगी को भी संवार दिया. उदैतापुर गांव की रहने वाली सुनीता चौहान ने राष्ट्रीय अजीविका मिशन के तहत समूह बनाकर करीब दो हजार महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाया है. समूह से जुड़ी महिलाओं की आर्थिक और सामाजिक स्थिति में सुधार आया है. सुनीता चौहान पति की हत्या के बाद परेशानियों से तंग आकर अपने तीन बच्चों सहित आत्महत्या करना चाहती थीं. आज वही महिला लोगों के लिए प्रेरणा स्त्रोत बन गई है. इतना ही नहीं वह प्रदेश कई जिलों के साथ अन्य राज्यों में जाकर महिलाओं को प्रशिक्षित करती हैं.
कई महिलाओं को दी नई जिंदगी
सुनीता चौहान ने राष्ट्रीय आजीविका मिशन योजना के अंतर्गत समूह बनाकर अपनी आर्थिक और सामाजिक स्थित को मजबूत किया है. साथ ही दो हजार से ज्यादा महिलाओं को स्वयं सहायता समूह से जोड़कर उनको भी आत्मनिर्भर बनाया. अब सुनीता पूरे भारत की महिलाओं के लिए प्रेरणा स्रोत बन गयी हैं. वह अपने समूह में आटा, दाल, चावल, मैदा और कच्चे धनिया की पैकिंग के साथ दीपावली में वोकल फॉर लोकल को अपनाकर गाय के गोबर से गणेश, लक्ष्मी और दीपक बना रही हैं. काम से वह समूह की महिलाओं को रोजगार देने के साथ-साथ आत्मनिर्भर बना रही हैं.
कभी करना चाह रही थीं आत्महत्या
सुनीता चौहान ने बताया कि वह मैनपुरी जिले की रहने वाली हैं. साल 2002 में उनके पति की हत्या कर दी गयी थी. उस समय वह बहुत परेशान थी. परेशानी के कारण वह अपने बच्चों के साथ आत्महत्या करना चाहती थी, लेकिन उन्होंने हिम्मत नहीं हारी. वह अपने छोटे-छोटे तीनों बच्चों को लेकर अपने ससुर के घर कन्नौज के उदैतापुर गांव में आकर रहने लगी.