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कूड़े के ढेर में भविष्य तलाश रहे नैनिहाल, जिम्मेदारों को नहीं है खबर..

कन्नौज जिले में सैंकड़ों बच्चे दो वक्त की रोटी का जुगाड़ करने के लिए कूड़ा बीनने पर मजबूर हैं. शिक्षा ग्रहण करने की उम्र में कूड़ा बीनते बच्चों को देखकर सरकारी तंत्र की योजनाएं फेल होती नजर आ रहीं हैं.

कूड़े के ढेर में भविष्य तलाश रहे नैनिहाल
कूड़े के ढेर में भविष्य तलाश रहे नैनिहाल

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Published : Oct 3, 2021, 4:10 PM IST

कन्नौज :यूं तो केंन्द्र और प्रदेश सरकार नौनिहालों को भविष्य संवारने के लिए की योजनाएं चला रही है. इसके बावजूद गरीबी के आभाव में बच्चे कूड़े के ढेर में भविष्य तलाश रहे हैं. गरीबी का दंश झेल रहे बच्चों को शिक्षा की मुख्य धारा से जोड़ने के लिए प्रदेश सरकार तमाम योजनाएं चला रही है. गरीबी के चलते शिक्षा के अधिकार से कोई भी बच्चा वंचित न रहे, इसके लिए स्कूल में मध्याह्न भोजन, ड्रेस, पुस्तकों के अलावा छात्रवृति तक मुहैया कराई जा रही है.

इन सभी योजनाओं के बावजूद इत्र नगरी में सैकड़ों बच्चे कूड़े के ढेर में जिंदगी की तलाश रहे हैं. गरीबी का दंश झेल रहे और असहाय बच्चों के लिए चलाई जा रही योजनाएं कितनी कारगार हैं. इसका अंदाजा जगह-जगह कूड़ा चुनते बच्चों देखकर लगाया जा सकता है. गरीबी की भूख और सरकारी तंत्र की लापरवाही के इन नैनिहालों का भविष्य अंधकार में धकेल रही है.

कूड़े के ढेर में भविष्य तलाश रहे नैनिहाल

कूड़े के ढेर में भविष्य तलाश रहे नैनिहालों का यह वीडियो कन्नौज के शहरी इलाके का है. पढ़ाई करने की उम्र में बोरी कचरा बीनते बच्चे दो वक्त की रोटी की जुगाड़ करने में परिवार की मदद करते हैं. गंदगी के ढेर में इधर-उधर कूड़ा चुन रहे इन बच्चों के स्वास्थ्य, शिक्षा की किसी को चिंता नहीं है. कूड़ा बीनने बाले बच्चे बताते हैं, कि वह दिन भर की मेहनत में 50 से 70 रुपये तक कमा लेते हैं.

कन्नौज जनपद के एडीएम गजेंद्र सिंह का कहना है कि शिक्षा के अधिकार अनिनियम के तहत बच्चों को शिक्षा का अधिकार है. सरकार के प्रयास से ऐसे बच्चों के माता-पिता को जागरूक कर स्कूल भेजने के लिए प्रेरित किया जा रहा है. अभी ऐसे दृश्य सामने आते रहते हैं. जिन बच्चों को स्कूल में होना चाहिए, वह सड़कों पर दिखते हैं. सामाजिक संगठनों के साथ मिलकर ऐसे बच्चों को चिन्हिंत किया जा रहा है. जिससे बच्चों को शिक्षा का अधिकार मिल सके.

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