कन्नौज:जहां गंगधरापुर गांव के एक परिवार ने अपने बेटे को इस देश के लिए समर्पित कर दिया. वहीं, आज उसी शहीद बेटे का परिवार सरकार की ओर से दी जाने वाली सुविधाओं के लिए गुहार लगा-लगाकर थक चुका है, लेकिन गुहार के बदले मिलता है तो सिर्फ आश्वासन. इस आस के सहारे परिवार के लोग अपना जीवन काटने को मजबूर हैं.
शहीद पंकज दुबे को किया गया याद. स्वतंत्रता दिवस पर शहीद को किया गया याद-
- गंगधरापुर गांव में शहीद पंकज दुबे को याद किया गया.
- वहीं शहीद के पिता शांति स्वरूप दुबे को सम्मानित किया गया.
- इस दौरान उन्होंने कहा कि वो सरकार से मदद की गुहार लगा रहे हैं.
- अभी तक न तो परिवार के किसी भी सदस्य को नौकरी दी गई है.
- न हीं उनके शहीद बेटे का स्मारक बनाया गया है.
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जानिए शहीद पंकज दुबे के शहीद होने तक का सफर-
- शहीद पंकज दुबे अगस्त 2015 में कानपुर से सेना में भर्ती हुए थे.
- नवंबर 2018 में उनकी तैनाती रेडियो ऑपरेटर के पद पर कश्मीर घाटी के तंगधार में हुई थी.
- दिसंबर 2018 में वह 55 दिन की छुट्टी लेकर घर आए थे. 31 जनवरी 2019 को वापस गए थे.
- 23 मार्च की सुबह उनके भाई जवाहरलाल दुबे को जेसीओ ने सूचना दी.
- रात में चले सर्च ऑपरेशन में पंकज दुबे आतंकियों की गोली से घायल हो गए हैं.
- गोली सिर में लगी थी, उन्हें गंभीर हालत में उधमपुर के कमांड हॉस्पिटल में भर्ती किया गया.
- जहां उनका ऑपरेशन किया गया, जिसके बाद 4 अप्रैल को पंकज दुबे ने अंतिम सांस ली.
- गोली लगने से एक दिन पहले ही मां और भाई से फोन पर बात हुई थी.
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सरकार ने अभी तक न तो छोटे बेटे को नौकरी ही दी है. और ना ही शहीद बेटे का स्मारक बनवाया है.
-शांति स्वरूप दुबे, शहीद के पिता
इस बार 26 जनवरी गणतंत्र दिवस से पहले ही स्मारक बनवाने की पूरी कोशिश की जाएगी.
-शैलेंद्र अग्निहोत्री, नगर पालिका अध्यक्ष