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पांच साल से नहीं मिला मदरसा शिक्षकों को वेतन, पीएम को भेजा ज्ञापन

यूपी के कन्नौज में मदरसा शिक्षकों ने वेतन की मांग को लेकर डीएम को ज्ञापन सौंपा. शिक्षकों का कहना है कि पिछले पांच वर्षों से उन्हें वेतन नहीं मिला है. जिसके चलते भूखो मरने की नौबत आ गई है.

मदरसा शिक्षकों ने डीएम को सौंपा ज्ञापन
मदरसा शिक्षकों ने डीएम को सौंपा ज्ञापन

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Published : Dec 18, 2020, 3:56 PM IST

कन्नौजः केंद्र पुरोनिधानित मदरसा आधुनिकीकरण शिक्षक योजना के तहत लगे शिक्षकों को बीते पांच वर्षों से वेतन नहीं मिला है. इससे शिक्षकों के सामने रोजी-रोटी का संकट खड़ा हो गया है. शिक्षकों ने वेतन दिलाए जाने की मांग को लेकर प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री, केंद्रीय मानव संसाधन मंत्री, अल्पसंख्यक कल्याणमंत्री को संबोधित पांच सूत्रीय ज्ञापन डीएम को सौंपा. शिक्षकों ने कहा कि वेतन न मिलने से मदरसा शिक्षकों के आगे भुखमरी की नौबत आ गई है. कई शिक्षक रुपए न होने की वजह से इलाज नहीं करा पाए. जिससे उनकी मौत हो गई है.

क्या है पूरा मामला
शुक्रवार को मदरसा आधुनिकीकरण शिक्षक एकता समिति के तत्वावधान में मदरसा शिक्षक मोहम्मद नसीम खां, मोहम्मद शहनवाज खान, मोहम्मद जाहिद खां समेत कई शिक्षक कलेक्ट्रेट परिसर पहुंचे. शिक्षकों ने डीएम राकेश मिश्रा को प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री, केंद्रीय मानव संसाधन मंत्री, अल्पसंख्यक कल्याणमंत्री को संबोधित ज्ञापन सौंपा. उन्होंने कहा कि केंद्र पुरोनिधानित मदरसा आधुनिकीकरण शिक्षक योजना के तहत उत्तर प्रदेश में करीब 21,546 शिक्षकों की नियुक्ति मदरसा में की गई थी.

पांच वर्षों से नहीं मिला वेतन
शिक्षकों ने कहा कि बीते पांच वर्षों से मदरसा शिक्षकों को वेतन नहीं मिला है. वेतन न मिलने से मदरसा शिक्षकों पर मुसीबतों का पहाड़ टूट रहा है. शिक्षकों के सामने परिवार का भरण-पोषण करने की चुनौती खड़ी हो रही है. शिक्षकों ने मांग की है कि सभी मदरसा शिक्षकों का बकाया वेतन तत्काल जारी किया जाए. साथ ही मानदेय का भुगतान प्रतिमाह किया जाए. इसके अलावा भुगतान की समय सीमा भी निर्धारित की जाए. मानदेय भुगतान हेतु आवश्यक प्रपत्र के लिए एक समय सीमा निर्धारित की जाए. समय सीमा के अंदर प्रपत्र जमा न करने वाले अधिकारियों व कर्मचारियों की जिम्मेदारी एवं जबाव देही तय की जाए.

भूखमरी से दम तोड़ रहे शिक्षक
शिक्षकों ने कहा कि बीते एक माह में भूखमरी और इलाज के अभाव में चार मदरसा शिक्षक दम तोड़ चुके हैं. अधिकारी और कर्मचारी लापरवाही बरत रहे हैं, जिससे प्रधानमंत्री के नारे सबका साथ सबका विकास पर पानी फिर रहा है. पिछले पांच वर्षों से सिर्फ शिक्षकों का आश्वासन दिया जा रहा है.

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