कन्नौज : उत्तर प्रदेश के शत-प्रतिशत ओडीएफ घोषित हो जाने का प्रदेश सरकार दावा कर रही है, लेकिन ओडीएफ काम को पूरा करने वाले खुद प्रधान ही इस बात से साफ इंकार कर रहे हैं. वे उल्टा सरकार पर ही आरोप लगा रहे हैं कि सरकार गांवों को फर्जी ओडीएफ बता रही है.
इसके साथ इसमें हुए घोटालों का भी पर्दाफाश कर रहे प्रधान संगठन के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष ने जो बातें कही हैं, वह सरकार को हिला कर रख देने वाली हैं. आइए देखते हैं कन्नौज से यह स्पेशल रिपोर्ट-
ओडीएफ के बारे में जिलाधिकारी ने दी जानकारी सन् 2011 की आर्थिक गणना की बेसलाइन को लेकर प्रदेश सरकार ने प्रदेश को शौचमुक्त करने के लिए शौचालय बनवाए जाने को लेकर शौचालय का पैसा दिया, जिसके बाद गांव-गांव और शहर-शहर शौचालय बनवाए जाने के लिए लाभार्थियों को शौचालय देने के लिए प्रधानों को धनराशि दी गई. यूपी में 2,44,000 ग्राम सभा में तैयार हुए शौचालयों का घोटाले का औसत निकाला जाए तो आप भी चौक जाएंगे. इसका खुलासा खुद ग्राम प्रधानों ने किया है.
क्या कहना है अखिल भारतीय प्रधान संगठन के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष का
अखिल भारतीय प्रधान संगठन के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष विपिन मिश्रा का साफ तौर पर कहना है कि प्रदेश सरकार ने फर्जी ओडीएफ घोषित कर दिया. एक भी गांव ओडीएफ नहीं है.
प्रधानों द्वारा बताई गई यह सच्चाई कि प्रदेश को ओडीएफ फर्जी घोषित किया गया है, इसके बावजूद अधिकारी सरकार की मंशा के अनुसार, काम करने की बात कह रहे हैं. जनपद के जिलाधिकारी रविंद्र कुमार का कहना है कि ओडीएफ घोषित करने के लिए जनपद में सभी अधिकारियों और कर्मचारियों ने बड़ी मेहनत के साथ काम किया है और बेसलाइन सर्वे के आधार पर सितंबर माह में ही जनपद को ओडीएफ घोषित कर दिया गया.
इसके बाद संज्ञान में आया कि जो बेसलाइन सर्वे के बाहर से वह छूट गए हैं, यह बात शासन तक पहुंची. इसके बाद शासन ने पुनः निर्देश दिए कि जो लोग बेसलाइन सर्वे से बाहर हैं, उनका भी सर्वे कराया जाए और उनको भी शौचालय उपलब्ध कराया जाए, जिसके बाद जनपद में 26000 शौचालय का पुनः चिन्हांकन किया गया, जिसके निर्माण कार्य का काम युद्धस्तर पर चल रहा है.